विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ
योग के अनुसार ध्यान
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्सञ्जायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
विषयों को सोचते रहने से मनुष्य की उनमें आसक्ति उत्पन्न होती है, आसक्ति से कामना पैदा होती है, कामना से क्रोध होता है, क्रोध से मोह होता है, मोह से स्मृतिशक्ति का लोप, स्मृति का नाश होने से विचार- बुद्धि का नाश और बुद्धि के नष्ट होने पर मनुष्य नष्ट हो जाता है।
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नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयतः शान्तिरशान्तस्य कुतः सुखम्।।
आत्मज्ञान-हीन व्यक्ति में प्रज्ञा नहीं होती, साधनाहीन तथा विषयासक्त मनुष्य में आत्मचिन्तन नहीं होता, आत्मा या ईश्वर के चिन्तन से रहित व्यक्ति को मानसिक शान्ति नहीं होती, अशान्त-चित्त के लिए सुख या आनन्द कहाँ?
(भगवद्गीता, २ - ६२, ६३, ६६)
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