गीता प्रेस, गोरखपुर >> अमृत के घूँट अमृत के घूँटरामचरण महेन्द्र
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प्रस्तुत है पुस्तक अमृत के घूँट.....
ईश्वरकी सबसे बड़ी शक्ति है वह, जो सृष्टिका निर्माण करती है। उसे 'ब्रह्मा' कहा गया है। ब्रह्माका आकार एक ऐसे पिताका आकार है, जो हर प्रकार अपनी संतानकी देखभाल करता है, उसे भोजन देता है, रहनेमें सहायता प्रदान करता है। विष्णु उन शक्तियोंके प्रतीक है, जो संतानका पालन, विकास और शासन करती है; शंकर उन शक्तियोंके प्रतीक है, जो जीर्णता पैदाकर क्रमशः विनाशकी ओर ले जाकर अन्तमें संहार कर देती हैं। ब्रह्मा-विष्णु-महेश ईश्वरकी उत्पादक, पालक और संहारक शक्तियोंके प्रतीक हैं।
विघ्न-बाधाओंको दूर करने और बुद्धिको ठीक मार्गपर रखनेवाली भी एक ईश्वरीय शक्ति है। सन्मार्गपर स्थिर रखनेवाली इस शक्तिका नाम है गणेश। गणेशका चित्र कुछ अजीब-सा है-हाथीके समान मुख, वक्रतुण्ड, एकदन्त, मोटा पेट और वाहन चूहा! हाथी-जैसा चौड़ा मस्तक विवेकको प्रकट करता है। हाथीके दाँत खानेके और दिखानेके अलग-अलग होते हैं। ये दाँत यह प्रकट करते हैं कि अपने काममें विघ्न न चाहनेवाले आदमीको चाहिये कि वह सज्जन पुरुषोंसे जहाँ सिर भिड़ानेसे बचे, उदारताका व्यवहार करे, कुलोचित प्रतिष्ठाका ध्यान रखे, वहाँ संयोगवश उनकी कही हुई छोटी-मोटी-ओछी या कड़वी बातोंको अनसुनी कर दे। अकारण हुए शत्रुओंसे सावधान रहते हुए अपना खुला विरोध न प्रकट होने दे, किंतु दिखावेके दाँतोंकी तरह बाह्य व्यवहार शिष्ट रखे। हाथीकी सूँड या नाक प्रतिष्ठित कुलकी इज्जत बनाये रखनेकी प्रतीक है। यह हमें यह शिक्षा देती है कि हम कहीं कोई दुर्व्यवहार न कर बैठें, जिससे हमारी नाक कट जाय, अर्थात् यश और प्रतिष्ठा नष्ट हो जाय। हाथीके बड़े कान हमें यह सिखाते है कि दूसरोंकी बातोंको खूब सुनें। हाथीके नेत्र भी विचित्र हैं। उसे अपने छोटे-छोटे नेत्रोंसे छोटी-छोटी वस्तुएँ भी बड़ी-बड़ी दीखती है। छोटोंके प्रति भी समुचित आदर-सत्कारका दृष्टिकोण निर्विघ्रताके इच्छुकको अपनाना चाहिये-यह शिक्षा हमें गणेशजीसे मिलती है। इसीलिये गणेशको 'सिद्धिदाता' कहा गया है।
तर्कका प्रतीक चूहा है। चूहा अपने छोटे-छोटे दाँतोंसे बहुत-सी वस्तुओंको काट-छाँट डालता है। वह रात-दिन काट-छाँट ही करता रहता है।
यह हमें सिखाता है कि अपने कार्यमें विघ्न न चाहनेवाले साधकको अपने कुतर्कोंको काट डालना चाहिये। गणेशके ज्ञानके भारसे अपनी वासनाको दबाये रहें। तर्क-प्रणालीको उच्छृंखल न बनायें।
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