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गीता प्रेस, गोरखपुर >> अमृत के घूँट

अमृत के घूँट

रामचरण महेन्द्र

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :185
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5984
आईएसबीएन :81-293-0130-X

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प्रस्तुत है पुस्तक अमृत के घूँट.....

ईश्वरकी सबसे बड़ी शक्ति है वह, जो सृष्टिका निर्माण करती है। उसे 'ब्रह्मा' कहा गया है। ब्रह्माका आकार एक ऐसे पिताका आकार है, जो हर प्रकार अपनी संतानकी देखभाल करता है, उसे भोजन देता है, रहनेमें सहायता प्रदान करता है। विष्णु उन शक्तियोंके प्रतीक है, जो संतानका पालन, विकास और शासन करती है; शंकर उन शक्तियोंके प्रतीक है, जो जीर्णता पैदाकर क्रमशः विनाशकी ओर ले जाकर अन्तमें संहार कर देती हैं। ब्रह्मा-विष्णु-महेश ईश्वरकी उत्पादक, पालक और संहारक शक्तियोंके प्रतीक हैं।

विघ्न-बाधाओंको दूर करने और बुद्धिको ठीक मार्गपर रखनेवाली भी एक ईश्वरीय शक्ति है। सन्मार्गपर स्थिर रखनेवाली इस शक्तिका नाम है गणेश। गणेशका चित्र कुछ अजीब-सा है-हाथीके समान मुख, वक्रतुण्ड, एकदन्त, मोटा पेट और वाहन चूहा! हाथी-जैसा चौड़ा मस्तक विवेकको प्रकट करता है। हाथीके दाँत खानेके और दिखानेके अलग-अलग होते हैं। ये दाँत यह प्रकट करते हैं कि अपने काममें विघ्न न चाहनेवाले आदमीको चाहिये कि वह सज्जन पुरुषोंसे जहाँ सिर भिड़ानेसे बचे, उदारताका व्यवहार करे, कुलोचित प्रतिष्ठाका ध्यान रखे, वहाँ संयोगवश उनकी कही हुई छोटी-मोटी-ओछी या कड़वी बातोंको अनसुनी कर दे। अकारण हुए शत्रुओंसे सावधान रहते हुए अपना खुला विरोध न प्रकट होने दे, किंतु दिखावेके दाँतोंकी तरह बाह्य व्यवहार शिष्ट रखे। हाथीकी सूँड या नाक प्रतिष्ठित कुलकी इज्जत बनाये रखनेकी प्रतीक है। यह हमें यह शिक्षा देती है कि हम कहीं कोई दुर्व्यवहार न कर बैठें, जिससे हमारी नाक कट जाय, अर्थात् यश और प्रतिष्ठा नष्ट हो जाय। हाथीके बड़े कान हमें यह सिखाते है कि दूसरोंकी बातोंको खूब सुनें। हाथीके नेत्र भी विचित्र हैं। उसे अपने छोटे-छोटे नेत्रोंसे छोटी-छोटी वस्तुएँ भी बड़ी-बड़ी दीखती है। छोटोंके प्रति भी समुचित आदर-सत्कारका दृष्टिकोण निर्विघ्रताके इच्छुकको अपनाना चाहिये-यह शिक्षा हमें गणेशजीसे मिलती है। इसीलिये गणेशको 'सिद्धिदाता' कहा गया है।

तर्कका प्रतीक चूहा है। चूहा अपने छोटे-छोटे दाँतोंसे बहुत-सी वस्तुओंको काट-छाँट डालता है। वह रात-दिन काट-छाँट ही करता रहता है।

यह हमें सिखाता है कि अपने कार्यमें विघ्न न चाहनेवाले साधकको अपने कुतर्कोंको काट डालना चाहिये। गणेशके ज्ञानके भारसे अपनी वासनाको दबाये रहें। तर्क-प्रणालीको उच्छृंखल न बनायें।

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    अनुक्रम

  1. निवेदन
  2. आपकी विचारधारा की सही दिशा यह है
  3. हित-प्रेरक संकल्प
  4. सुख और स्वास्थ के लिये धन अनिवार्य नहीं है
  5. रुपये से क्या मिलता है और क्या नहीं
  6. चिन्ता एक मूर्खतापूर्वक आदत
  7. जीवन का यह सूनापन!
  8. नये ढंग से जीवन व्यतीत कीजिये
  9. अवकाश-प्राप्त जीवन भी दिलचस्प बन सकता है
  10. जीवन मृदु कैसे बने?
  11. मानव-हृदय में सत्-असत् का यह अनवरत युद्ध
  12. अपने विवेकको जागरूक रखिये
  13. कौन-सा मार्ग ग्रहण करें?
  14. बेईमानी एक मूर्खता है
  15. डायरी लिखने से दोष दूर होते हैं
  16. भगवदर्पण करें
  17. प्रायश्चित्त कैसे करें?
  18. हिंदू गृहस्थ के लिये पाँच महायज्ञ
  19. मनुष्यत्व को जीवित रखनेका उपाय-अर्थशौच
  20. पाठ का दैवी प्रभाव
  21. भूल को स्वीकार करने से पाप-नाश
  22. दूसरों की भूलें देखने की प्रवृत्ति
  23. एक मानसिक व्यथा-निराकरण के उपाय
  24. सुख किसमें है?
  25. कामभाव का कल्याणकारी प्रकाश
  26. समस्त उलझनों का एक हल
  27. असीम शक्तियोंकी प्रतीक हमारी ये देवमूर्तियाँ
  28. हिंदू-देवताओंके विचित्र वाहन, देश और चरित्र
  29. भोजनकी सात्त्विकता से मनकी पवित्रता आती है!
  30. भोजन का आध्यात्मिक उद्देश्य
  31. सात्त्विक आहार क्या है?
  32. मन को विकृत करनेवाला राजसी आहार क्या है?
  33. तामसी आहार क्या है?
  34. स्थायी सुख की प्राप्ति
  35. मध्यवर्ग सुख से दूर
  36. इन वस्तुओं में केवल सुखाभास है
  37. जीवन का स्थायी सुख
  38. आन्तरिक सुख
  39. सन्तोषामृत पिया करें
  40. प्राप्त का आदर करना सीखिये
  41. ज्ञान के नेत्र
  42. शान्ति की गोद में
  43. शान्ति आन्तरिक है
  44. सबसे बड़ा पुण्य-परमार्थ
  45. आत्मनिर्माण कैसे हो?
  46. परमार्थ के पथपर
  47. सदुपदेशों को ध्यानपूर्वक सुनिये
  48. गुप्त सामर्थ्य
  49. आनन्द प्राप्त करनेके अचूक उपाय
  50. अपने दिव्य सामर्थ्यों को विकसित कीजिये
  51. पाप से छूटने के उपाय
  52. पापसे कैसे बचें?
  53. पापों के प्रतीकार के लिये झींके नहीं, सत्कर्म करे!
  54. जीवन का सर्वोपरि लाभ
  55. वैराग्यपूर्ण स्थिति
  56. अपने-आपको आत्मा मानिये
  57. ईश्वरत्व बोलता है
  58. सुखद भविष्य में विश्वास करें
  59. मृत्यु का सौन्दर्य

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