लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> अमृत के घूँट

अमृत के घूँट

रामचरण महेन्द्र

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :185
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5984
आईएसबीएन :81-293-0130-X

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

341 पाठक हैं

प्रस्तुत है पुस्तक अमृत के घूँट.....

विष्णु सृष्टिके पालक हैं, रक्षक है, आनेवाली समस्त कठिनाइयों और विपत्तियोंसे संसार और समाजकी रक्षा करनेवाले हैं। यदि वे रक्षा न करें तो मानवमात्रपर अनेक विपत्तियाँ आ सकती है। साधारण व्यक्तिपर यह रक्षाका भाव कैसे, किस पशु-पक्षी द्वारा प्रकट किया जाय? इसके लिये पक्षिराज गरुड़को चुना गया। विष्णुका वाहन गरुड़ है। पक्षियोंमें गरुड़की समताका अतिशीघ्रगामी, बलवान् और वीर पक्षी नहीं है। जिसकी रक्षा वह करे, उसपर भला, क्योंकर विपत्ति आ सकती है। उसका कौन कुछ बिगाड़ सकता है?

भैरव नगरके रक्षक माने गये हैं। वे उस सजग प्रहरी की तरह है, जो नगरमें आनेवाली विरोधी शक्तियोंको दूर करता है। यह भाव प्रकट करनेवाला पशु कुत्ता है। यदि कुत्ता आपके दरवाजेपर सजगतासे पहरा देता रहे, आपका रक्षक बने तो कौन हानि पहुँचा सकता है। भैरव के चित्रके साथ कुत्ता देखकर हम अनायास ही यह मालूम कर सकते हैं कि ये नगररक्षक हैं।

शीतलाका वाहन गधा है। गधेमें एक बड़ा गुण है। यह है उसकी सहनशक्ति। सहनशक्ति का प्रतीक गधा है।

सूर्य-देवताका वाहन अश्व है। सूर्य अपनी गतिको नहीं छोड़ते, चाहे मौसिम कैसा ही क्यों न हो। निर्दिष्ट समयपर उदित होकर अपनी निर्धारित यात्राको पूरा करना, एक ही गतिसे चलते रहना सूर्यका स्वभाव है। गतिको प्रकट करनेवाला पशु घोड़ा है। घोड़ेको सूर्यके साथ देखकर हम स्वतः मालूम कर सकते हैं कि सूर्य हमारे समय और गतिको प्रकट कर रहे हैं। एक ही गतिसे उन्नतिके मार्गपर चलो। परिस्थिति या मौसिमकी परवा मत करो। अपना निर्धारित कार्य पूरा करनेका सदा-सर्वदा ध्यान रखो। दिनभर अपना कार्य अनवरत गतिसे पूरा करो-ये सब भाव सूर्य-देवतासे प्रकट होते हैं।

इन्द्रका ऐश्वर्य प्रसिद्ध है। इस शान-शौकत, दर्प-विपुलताको प्रकट करनेके लिये उनका वाहन ऐरावत हाथीको चुना गया। ऐरावतकी मस्त चाल, शान, दर्प देखकर साधारण योग्यताका व्यक्ति भी यह अनुमान लगा सकता है कि यह महामहिम इन्द्र है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. निवेदन
  2. आपकी विचारधारा की सही दिशा यह है
  3. हित-प्रेरक संकल्प
  4. सुख और स्वास्थ के लिये धन अनिवार्य नहीं है
  5. रुपये से क्या मिलता है और क्या नहीं
  6. चिन्ता एक मूर्खतापूर्वक आदत
  7. जीवन का यह सूनापन!
  8. नये ढंग से जीवन व्यतीत कीजिये
  9. अवकाश-प्राप्त जीवन भी दिलचस्प बन सकता है
  10. जीवन मृदु कैसे बने?
  11. मानव-हृदय में सत्-असत् का यह अनवरत युद्ध
  12. अपने विवेकको जागरूक रखिये
  13. कौन-सा मार्ग ग्रहण करें?
  14. बेईमानी एक मूर्खता है
  15. डायरी लिखने से दोष दूर होते हैं
  16. भगवदर्पण करें
  17. प्रायश्चित्त कैसे करें?
  18. हिंदू गृहस्थ के लिये पाँच महायज्ञ
  19. मनुष्यत्व को जीवित रखनेका उपाय-अर्थशौच
  20. पाठ का दैवी प्रभाव
  21. भूल को स्वीकार करने से पाप-नाश
  22. दूसरों की भूलें देखने की प्रवृत्ति
  23. एक मानसिक व्यथा-निराकरण के उपाय
  24. सुख किसमें है?
  25. कामभाव का कल्याणकारी प्रकाश
  26. समस्त उलझनों का एक हल
  27. असीम शक्तियोंकी प्रतीक हमारी ये देवमूर्तियाँ
  28. हिंदू-देवताओंके विचित्र वाहन, देश और चरित्र
  29. भोजनकी सात्त्विकता से मनकी पवित्रता आती है!
  30. भोजन का आध्यात्मिक उद्देश्य
  31. सात्त्विक आहार क्या है?
  32. मन को विकृत करनेवाला राजसी आहार क्या है?
  33. तामसी आहार क्या है?
  34. स्थायी सुख की प्राप्ति
  35. मध्यवर्ग सुख से दूर
  36. इन वस्तुओं में केवल सुखाभास है
  37. जीवन का स्थायी सुख
  38. आन्तरिक सुख
  39. सन्तोषामृत पिया करें
  40. प्राप्त का आदर करना सीखिये
  41. ज्ञान के नेत्र
  42. शान्ति की गोद में
  43. शान्ति आन्तरिक है
  44. सबसे बड़ा पुण्य-परमार्थ
  45. आत्मनिर्माण कैसे हो?
  46. परमार्थ के पथपर
  47. सदुपदेशों को ध्यानपूर्वक सुनिये
  48. गुप्त सामर्थ्य
  49. आनन्द प्राप्त करनेके अचूक उपाय
  50. अपने दिव्य सामर्थ्यों को विकसित कीजिये
  51. पाप से छूटने के उपाय
  52. पापसे कैसे बचें?
  53. पापों के प्रतीकार के लिये झींके नहीं, सत्कर्म करे!
  54. जीवन का सर्वोपरि लाभ
  55. वैराग्यपूर्ण स्थिति
  56. अपने-आपको आत्मा मानिये
  57. ईश्वरत्व बोलता है
  58. सुखद भविष्य में विश्वास करें
  59. मृत्यु का सौन्दर्य

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book