गीता प्रेस, गोरखपुर >> अमृत के घूँट अमृत के घूँटरामचरण महेन्द्र
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प्रस्तुत है पुस्तक अमृत के घूँट.....
स्थायी सुख की प्राप्ति
सुखविषयक प्रमाद
अपने पुस्तकालयकी जिस खिड़कीसे मैं देख रहा हूँ मुझे अनेक प्रकारके व्यक्ति अपने सुखोंमें लिप्त दृष्टिगोचर हो रहे हैं। बरसातका कुछ पानी एक गड्डेमें एकत्रित हो गया है, जिसमें एक सूअर गरमीमें लोट रहा है। दिनभर यह विष्ठामें अपना जीवन व्यतीत करता है और दोपहर गंदे कीचड़से भरे इस गड्डेमें पड़ा-पड़ा सोचा करता है, 'मेरा जीवन कितना सुखी है। पेटभर विष्ठा तथा आलस्यमय जीवनका आनन्द लेनेके लिये यह गंदे कीचड़का गड्ढा।' यह अपने जीवनसे संतुष्ट है।
मेरी पुस्तकोंकी एक आलमारीके ऊपरी आलेमें दो चिड़ियाँ घोंसला बना रही है। मैथुनसुखके आवेशमें इन्होंने भावी शिशुके जन्मकी झाँकी देखी है; उसीका प्रायछित्त करनेकी यह तैयारी है। घोंसला, फिर अंडे, बच्चे, फिर बच्चोंके लिये भाग-दौड़कर अन्न-जल का प्रबन्ध, बिल्लीसे बचावके प्रयत्न इत्यादि। क्षणभरके मैथुन-सुखने इन दो अबोध पक्षियोंको एक कभी न कटनेवाली डोरीमें बाँध दिया है। इस बन्धनमें न ये पेटभर भोजन खायँगे, न अपने स्वास्थ्यका सुख लूटेंगे और न इधर-उधर स्वच्छन्दतापूर्वक उड़ सकेंगे।
बैलोंकी एक जोड़ अभी-अभी गाड़ी में से खोली जा रही है। बैल थके हुए है। लाकर छायामें बाँधे जाते हैं। एक क्षण आराम करते हैं। घास-पूली खाते हैं। इन शान्तिके क्षणोंका उनके लिये कितना अधिक मूल्य है।
ये ही इनके सुखकी घड़ियाँ हैं।
इसी प्रकार मानव-जगत्का कार्यक्रम है। कुछ व्यक्ति सूअरकी भांति निम्रतम घृणित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। मास, मदिरा, तम्बाकू, अभक्ष्य पदार्थोंका खूब उपयोग करते हैं। नशेमें चूर होकर वे इन्द्रिय-सुखके पीछे दौड़ते हैं। वासनापूर्तिमें उन्हें जीवनका सबसे अधिक रस आता है। उनका जीवन एक छोटे-से दायरेमें बँधा है। उदरके लिये उचित-अनुचित खाद्यकी प्राप्ति तथा वासना-सुखके लिये विपरीत लिंगवाले साथीकी प्राप्ति। इनसे ऊपर उनके निमित्त कुछ नहीं हैं। अपने-आपका ज्ञान, पुस्तकोके महान् अनुभव, विज्ञान तथा राजनीतिकी गुत्थियाँ उनके लिये व्यर्थ हैं। वे अपने ही स्वार्थ तथा अहंकारमें डूबते-उतराते जीवनका बहुमूल्य समय समाप्त कर देते हैं। ढेर-के-ढेर बच्चोंको जन्म देकर उन्हें नंगा-भूखा छोड़ स्वर्गवासी हो जाते हैं। वे संसारके थपेड़े खाते मरते-कटते रहते हैं। उनका यह पशुवत् जीवन ज्यों-का-त्यों व्यतीत होता जाता है। किंतु यह न समझिये कि इन लोगोंको यह जीवन पसंद नहीं। इन्हें यही जीवन सर्वोत्कृष्ट लगता है।
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