जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग सत्य के प्रयोगमहात्मा गाँधी
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प्रस्तुत है महात्मा गाँधी की आत्मकथा ....
कमेटीने हवेली ( वैष्णव-मन्दिर) का भी निरीक्षण किया। हवेली के मुखियाजी सेगाँधी परिवार का मीठा सम्बन्ध था। मुखियाजी ने हवेली देखने देना और सबसम्भव सुधार करा देना स्वीकार किया। उन्होंने खुद वह हिस्सा कभी नहीं देखाथा। हवेली में रोज जो जूठन और पत्तल इक्ट्ठा होती, उन्हें पिछवाडे कीदीवार के ऊपर फेंक दिया जाता था। और, वह हिस्सा कौओ औप चीलो का अड़ड़ा बनगया था। पाखाने तो गन्दे थे ही। मुखियाजी ने कितना सुधार किया, सो मैं देखन सका। हवेली की गन्दगी देखकर दुःख तो हुआ ही। जिस हवेली को हम पवित्रस्थान मानते हैं, वहाँ तो आरोग्य के नियमों का अधिक से अधिक पालन होने कीआशा रखी जानी चाहिये। स्मृतिकारो ने अन्तर्बाह्य शौच पर बहुत जोर दियाहैं, यह बात उस समय भी मेरे ध्यान से बाहर नहीं थी।
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