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भारत की एकता का निर्माण

सरदार पटेल

प्रकाशक : प्रकाशन विभाग प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :350
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 62
आईएसबीएन :

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स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत की एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश की जनता को एकता के पक्ष में दिये गये भाषण


आज अखबार में मैंने देखा कि वही एक दिन की हड़ताल करवानेवाला लीडर अब ३ हफ्ते की हड़ताल करने को कहता है। वह कहता है कि बम्बई के १० लाख मजदूर उसके पीछे हैं। वह जो कुछ चाहता है, अगर वह नहीं मिलेगा तो बम्बई के १० लाख मजदूर काम छोड़ देंगे। आप समझ लीजिए हम कहाँ जा रहे हैं और यह भी समझ लीजिए कि गवर्नमेंट चलानेवाले हम लोग कोई पूंजीवादी नहीं हैं। यह जो काम हो रहा है, वह तो गवर्नमेंट करती है। वहाँ से पैदा करके हमें कोई रवानगी वसूली नहीं करनी है। लेकिन उनका मकसद तो यह है कि कैपिटलिस्ट में और मजदूरों में झगड़ा हो। मुझे बड़ा अफसोस होता है कि यह क्या बात हो रही है। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि अब समय आ गया है कि बम्बई की जनता यह स्थिति समझ ले। क्या बम्बई, क्या कानपुर, क्या कलकत्ता, क्या अहमदाबाद, उन सभी शहरों में जहां बड़े-बड़े कारखाने हैं, सब लोगों को समझना चाहिए कि गवर्नमेंट तो आप की है। लेकिन गवर्नमेंट चलानेवाले लोग अब तंग आ गये हैं। कम-से-कम मैं तो इस तरह से तंग आ गया हूं। तो मैं इस तरह से नहीं चला सकता। क्योंकि हमारे सर पर यह बोझ तो पड़ा है, और साथ-साथ और मुसीबतें भी हैं, काश्मीर की, जूनागढ़ की, और भी बहुत-सी मुसीबतें है, जिनका हमको कोई ख्याल ही नहीं आता। असल में वह सारा बोझ हमें ही झेलना पड़ रहा है।

एक रोज सुबह हम उठते हैं तो मालूम पड़ता है कि कराची में कोई हिन्दू रह नहीं सकता। उसको भाग कर इधर आना ही है। अब एकदम कराची से लोग तार-पर-तार करते हैं कि हमारे लिए बोटों का बन्दोबस्त करो। किसी-न-किसी तरह से हमें यहाँ से निकालो। अब क्या करें? क्या सामान है हमारे पास? यदि हम बोटों का बन्दोबस्त करें, तो सम्भव है कि जो मजदूर काम करनेवाले हैं, उनसे कहा जाए कि हड़ताल करो। उस सूरत में बोट कहाँ से जाएँगे? तो एक तो हमारे ऊपर यह बोझ है। दूसरा बोझ आप पर पड़ता है कि यह सिन्ध से ८ लाख आदमी भाग-भागकर यहां आएँगे। तो उसका तुरन्त ही कोई इन्तजाम आपको करना होगा। यह बहुत बड़ी परेशानी तो है, लेकिन हम उनसे यह नहीं कह सकते हैं कि आप बम्बई में न आएँ। हमें कहना पड़ेगा कि बम्बई जैसा हमारा है, वैसा ही आप का हैं। आप आ जाइए, तो जो कुछ हमारे पास है, वह हम आपस में बाँट लेंगे. वह हम मिलकर खाएँगे। यह न कहें तो हमारा काम नहीं चलेगा। क्योंकि बड़े दुख से वे लोग इधर आए हैं। कोई खुशी से अपना मकान छोड़कर, घर-बार और जमीन-जागीर छोड़कर नहीं आएगा। जहाँ सारी उस बीत गई, वह सब छोड़कर आना कोई आसान काम नहीं है। वे लोग गुस्से से भरे हुए हैं, दुख से भरे हुए हैं, जब वे स्टेशन पर आएँ, बन्दर पर आएँ, तब हम उनका इन्तजाम न करें, तो बड़ी मुसीबत होती है। जिस किसी तरह यह, सब हमें करना ही पड़ेगा।

तो हम कोशिश कर रहे हैं कि उनका बन्दोबस्त करें। और उन सब को, हमें हिन्दुस्तान में हज़म करना है और उसके लिए हमें बदला लेने की कोई बात मन में नहीं लानी चाहिए। यह हिसाब-किताब का काम हमें आज नहीं करना चाहिए। जैसा कि मैंने कहा, यह प्रौब्लम (समस्या) नहीं है कि जो लोग सिन्ध से आते हैं, उनकी मिल्कीयत वहाँ क्या है। वे वहाँ चार-सौ, पाँच सौ करोड़ रुपया छोड़कर आते हैं, उसका हिसाब चलाने का यह वख्त नहीं है। उतने मुसलमान इधर से निकालो, इससे भी हमारा फैसला नहीं होगा। इस सारे हिसाब-किताब का एक तरह से ही फैसला हो सकता है कि दोनों गवर्नमेंटें आपस में बैठकर हिसाब करें। और यह काम बाद में करना होगा। क्या इधर हुआ और क्या उधर हुआ, इस सब का फैसला हमें करना पड़ेगा और न करें तो राज नहीं चल सकता। न इधर, न उधर। क्योंकि हमें सफाई से काम करना पड़ेगा। गैरइन्साफ से काम नहीं चल सकता।

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    अनुक्रम

  1. वक्तव्य
  2. कलकत्ता - 3 जनवरी 1948
  3. लखनऊ - 18 जनवरी 1948
  4. बम्बई, चौपाटी - 17 जनवरी 1948
  5. बम्बई, शिवाजी पार्क - 18 जनवरी 1948
  6. दिल्ली (गाँधी जी की हत्या के एकदम बाद) - 30 जनवरी 1948
  7. दिल्ली (गाँधी जी की शोक-सभा में) - 2 फरवरी 1948
  8. दिल्ली - 18 फरवरी 1948
  9. पटियाला - 15 जुलाई 1948
  10. नई दिल्ली, इम्पीरियल होटल - 3 अक्तूबर 1948
  11. गुजरात - 12 अक्तूबर 1948
  12. बम्बई, चौपाटी - 30 अक्तूबर 1948
  13. नागपुर - 3 नवम्बर 1948
  14. नागपुर - 4 नवम्बर 1948
  15. दिल्ली - 20 जनवरी 1949
  16. इलाहाबाद - 25 नवम्बर 1948
  17. जयपुर - 17 दिसम्बर 1948
  18. हैदराबाद - 20 फरवरी 1949
  19. हैदराबाद (उस्मानिया युनिवर्सिटी) - 21 फरवरी 1949
  20. मैसूर - 25 फरवरी 1949
  21. अम्बाला - 5 मार्च 1949
  22. जयपुर - 30 मार्च 1949
  23. इन्दौर - 7 मई 1949
  24. दिल्ली - 31 अक्तूबर 1949
  25. बम्बई, चौपाटी - 4 जनवरी 1950
  26. कलकत्ता - 27 जनवरी 1950
  27. दिल्ली - 29 जनवरी 1950
  28. हैदराबाद - 7 अक्तूबर 1950

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