लोगों की राय

कहानी संग्रह >> कामतानाथ संकलित कहानियां

कामतानाथ संकलित कहानियां

कामतानाथ

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6427
आईएसबीएन :978-81-237-5247

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

221 पाठक हैं

आम जनजीवन से उठाई गई ये कहानियां कथाकार के रचना-कौशल की वजह से ग्रहण के स्तर पर एक तरफ बतरस का मजा देती हैं तो दूसरी तरफ प्रभाव के स्तर पर उद्वेलित करती हैं...


इस बीच गाड़ी, जो बच्चे, उसके गावदी बाप और जवान मां के इस डिब्बे में चढ़ने के बाद तीन-चार स्टेशनों पर सवारी लेने और उतारने के बाद अगले स्टेशन की ओर बढ़ रही थी, सहसा फिर धीमी पड़ने लगी और खिड़की के पार वृक्षों के बीच कहीं-कहीं, कुछ रोशनी-सी दिखाई देने लगी।

'अपन टेसन आएगा जानौ।' बच्चे की मां ने कहा।

बच्चे के बाप ने थोड़ा टस-मस होकर खिड़की के पार झांका। तब अपने संदूक पर आसन जमाए व्यक्तियों से बोला, 'ए भइया उठौ तनिक, संदूक उठावै देव।'

संदूक पर बैठे दोनों व्यक्ति बच्चे के हाथों गलमुच्छड़ की यह दुर्दशा देखकर हंसने में इतना व्यस्त थे कि उसकी बात को सहसा समझ नहीं सके।

'अरे उठौ भइया, तुमही ते कहि रहे हन।' उसने दोबारा उन लोगों को कोंचा तो वे उठकर खड़े हो गए।

बच्चे की मां भी सीट से उठकर अपना लहंगा झाड़ने लगी। तब बच्चे की ओर मुड़कर बोली, 'आ अइसी...। मुंसीजी तुइका मारिन नाई, यहै का कम है।'

गलमुच्छड़ ने गुस्से से बच्चे की मां की ओर घूरा, 'मारिन नाई का मतलब? छोड़ दूंगा क्या मैं इसको ऐसे? इस साले की आज मैं बोटी-बोटी काट डालूंगा। तू
बैठ वहीं अपनी जगह।'

'हमार टेसन आएगा है।' बच्चे की मां ने गलमुच्छड़ की ओर दयनीय दृष्टि से देखते हुए कहा।

'टेसन आएगा? आएं। इतनी जल्दी टेसन कैसे आ गया? चल, अच्छा नीचे निपटता हूं तुझसे बेटा।' उसने बच्चे को गोद में उठाते हुए कहा, 'चलती ट्रेन के नीचे न डाला तुझको तो हरामी की औलाद कहना।'

पैसेज में काफी भीड़ थी। इसके बावजूद बच्चे का बाप संदूक ऊपर उठाए डिब्बे के गेट तक पहुंच गया था और पीछे मुड़कर अपनी पत्नी की प्रतीक्षा कर रहा था। तभी उसकी पत्नी और उसके पीछे बच्चे को गोद में लिए गलमुच्छड़ भी गेट पर पहुंच गया। गाड़ी अब बिल्कुल रेंग रही थी। तभी सहसा प्लेटफार्म दिखाई देने लगा। स्टेशन के अंदर तथा बाहर प्लेटफार्म पर लगभग अंधेरा था।

'इस वक्त रात में तुम लोग जाओगे कहां?' गलमुच्छड़ ने बच्चे को गोद में लिए हुए उसकी मां से पूछा। इस पूरे प्रकरण में यह पहला वाक्य था, जो गलमुच्छड़ सहज ढंग से बोला था।

'जाबै कहां! हिऐं टेसन पर रहिबे। बच्चे की मां ने उतर दिया।

'इस अंधेरी रात में यहां टेसन पर कहां रहोगी?'

'टेसन पर काहे रहिबे, अपने घर मा रहिबे। हिऐं तो खलासी हैं ई के बप्पा। टेसन के पाछे सरकारी क्वाटर बना है रेलवई का।'

'अच्छा बेटा, तभी मैं कहूं इतने शेर क्यों हो रहे हो। अपने घर पहुंच गए हो। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है। गलमुच्छड़ ने बच्चे से कहा।

गाड़ी सहसा एक झटके के साथ रुक गई और बच्चे का बाप संदूक लेकर नीचे उतर गया। उसके पीछे औरत भी नीचे उतर गई और अपने दोनों हाथ गेट पर खडे गलमच्छड की ओर बढ़ाते हुए बोली, 'मुंसीजी, अब ई का दइ देव हमका। जऊन खता भै तऊन माफ करो।

'जा साले तेरी तकदीर अच्छी थी, जो तू बच गया आज, नहीं तो मौत ही लिखी थी तेरी मेरे हाथों।' गलमुच्छड़ ने बच्चे से कहा।

बच्चा उसकी इस बात पर हंसा और एक बार फिर उसने गलमुच्छड़ की दाढ़ी अपनी मुट्ठी में भर ली।

'अबे, अबे, साले, चलते-चलते हरामीपन?' गलमुच्छड़ ने कहा और उसके हाथ से अपनी दाढ़ी छुड़ाते हुए जोर से उसका मुंह चूम लिया। तब, 'जा बेटा, तू भी क्या याद करेगा। कहते हुए उसे उसकी मां की ओर बढ़ा दिया।

'नमस्ते मुंसीजी।' बच्चे की मां ने गलमुच्छड़ से कहा और बच्चे को गोद में लिए हुए संदूक सिर पर रखे प्लेफार्म पर आगे बढ़ गए अपने पति के पीछे चल दी।

डिब्बे के गेट पर खड़ा गलमुच्छड़ उन्हें जाते देखता रहा। अंधेरे में उनके सिल्हूट थोड़ी दूर तक दिखाई देते रहे। तब प्लेटफार्म पर लगे लोहे के जंगले के बीच सीखचों को तोड़कर बनाए गए रास्ते से बाहर जाकर दोनों अंधेरे में खो गए।

गलमुच्छड़ अपनी सीट पर लौट कर आया तो उसके साथी ने, जो अब तक अपनी बर्थ पर लेट चुका था, उससे पूछा, 'पहुंचा आए?'

'हां।' गलमुच्छड़ ने कहा।

'घर में पोता खिलाने से जी नहीं भरता?' उसके साथी ने प्रश्न किया।

'घर में रहने भी देती है सरकार साली। उसने कहा और जहां बच्चे ने पेशाब की थी, वहां हाथ रखकर देखने लगा कि अब तक सीट पूरी तरह सूख गई है या नहीं?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai