लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर

बसेरे से दूर

हरिवंशराय बच्चन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 665
आईएसबीएन :9788170282853

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

201 पाठक हैं

आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।

(चौथा संस्करण)


मुझे यह देखकर प्रसन्नता है कि मेरे आत्मचित्रण के प्रथम दो खण्डों के समान तीसरे खण्ड को भी लोक स्वीकृति मिली और प्रथम प्रकाशन के दो वर्ष पूर्व ही इसका दूसरा संस्करण निकला।

प्रथम संस्करण ऐसी परिस्थितियों में छपा था कि मैं स्वयं इसका प्रूफ नहीं देख सका था और बहुत-सी प्रेस की भूलें रह गयी थों; और खेद के साथ लिखना पड़ता है कि कतिपय अनिवार्य कारणों से उनमें बहुत-सी ज्यों की त्यों दूसरे और तीसरे संस्करण में चली गर्थी।

इस चौथे संस्करण में उन भूलों को सुधारने के अतिरिक्त कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

मैं उन सब लोगों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएँ भेजी और स्वयं उसे पढ़कर औरों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

'सोपान'
बी-8, गुलमोहर पार्क
नयी दिल्ली-49
5 अप्रैल, 1986

- बच्चन

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book