जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर बसेरे से दूरहरिवंशराय बच्चन
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आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
युनिवर्सिटी के लेक्चर हॉल, परीक्षा भवन, सेनेट हॉल, प्रमुख पुस्तकालय, यूनियन हाल, रेजिस्ट्री, विभिन्न फैकल्टियों के दफ्तर, युनिवर्सिटी-प्रबन्ध सम्बन्धी अन्य कार्यालय कॉलेजों से अलग हैं। केम्ब्रिज का विद्यार्थी युनिवर्सिटी और कॉलेज दोनों के सम्पर्क-सान्निध्य से अपने को शिक्षित-दीक्षित करता है। वस्तुतः शिक्षित करने का काम युनिवर्सिटी करती है, दीक्षित करने का काम कॉलेज करते हैं, अगर आप शिक्षित और दीक्षित दोनों में जो सूक्ष्म अन्तर है, उसे ठीक से समझ सकें। केम्ब्रिज के युनिवर्सिटी और कॉलेज अपनी-अपनी सत्ता-इयत्ता और कार्यक्षेत्र के प्रति अलग-अलग सचेत रहते हुए जिस सहयोग, सद्भावना, समझदारी और सुचारुता से केम्ब्रिज के अकादमिक जीवन को परिचालित करते हैं, उसका कोई जोड़ नहीं। आश्चर्य होता है देखकर कि इतनी बड़ी युनिवर्सिटी में शिकायत, असन्तोष अथवा आक्रोश का स्वर शायद ही कभी उठता हो, पक्षपात या अन्याय का आरोप शायद ही कभी लगाया जाता हो। यह कितनी बड़ी बात है कि हर एक को. क्या अध्यापक, क्या विद्यार्थी, क्या अन्य कर्मचारी, सबको यह विश्वास है कि युनिवर्सिटी और कॉलेज जो कुछ भी करेंगे, वह नियमत: होगा, न्यायपूर्ण होगा।
केम्ब्रिज युनिवर्सिटी के बारे में दो-एक मनोरंजक बातें आपको और बता दूँ, जो मुझे याद आ गयी हैं। केम्ब्रिज युनिवर्सिटी में हाज़िरी नहीं ली जाती। हाज़िरी वहाँ मानी जाती है केम्ब्रिज में सोने की। आप दिन-भर कहीं घूमिये, रात को आकर आप केम्ब्रिज में सो जाइये, आप केम्ब्रिज में हाज़िर माने जायेंगे। कॉलेज में सोने का गवाह पोर्टर होता है, 'डिग' में सोने की, लैण्डलेडी। कॉलेजों में रहने की जगहें युनिवर्सिटी के सभी विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त नहीं हैं, बहुतों को, जिनमें अधिकतर तीसरे वर्ष के विद्यार्थी अथवा वयस्क-शोध छात्र होते हैं, अलग मकानों में रहना पड़ता है, जिन्हें डिग' कहते हैं। कुछ डिगें ऐसी हैं, जिनमें केवल विद्यार्थी रहते हैं, इनमें रात के लौटने आदि के नियम कॉलेज के-से ही पाले जाते हैं, कुछ में सामान्य नागरिक भी ठहर सकते हैं। गाउन हमारे यहाँ केवल कन्वोकेशन के दिन पहना जाता है, केम्ब्रिज में अध्यापक-विद्यार्थी प्रतिदिन कक्षाओं में, भोजन के समय, गिरजाघर में गाउन पहने रहते हैं, विद्यार्थियों को रात में कॉलेजों के बाहर जाने पर भी गाउन पहनना ज़रूरी होता है। न पहनने पर जुर्माना होता है। केम्ब्रिज के कॉलेजों में बड़े सुन्दर 'लान' हैं, जिन पर चलने का अधिकार केवल 'डान्स'यानी अध्यापकों को है, विद्यार्थी चलें तो उन पर जुर्माना होता है। अनुशासनविरुद्ध विद्यार्थियों की कई कार्रवाइयों के लिए जुर्माने तय हैं, पुराने जमाने में तो उन पर कोड़े पड़ते थे, और कभी-कभी उन्हें कठ-बेड़ी में भी खड़ा होना पड़ता था। किसी विद्यार्थी को किसी अपराध के लिए अगर पुलिस भी पकड़े तो उसे केवल यनिवर्सिटी-प्राक्टर के हवाले कर सकती है, खुद सज़ा नहीं दे सकती, जब तक कि युनिवर्सिटी उसे निष्कासित ही न कर दे।
केम्ब्रिज में मैं जीजस लेन की एक डिग में ठहरा, जो कॉलेजों से बहुत दूर न थी। मेरे कमरे की खिड़की से ट्रिनिटी कॉलेज का ह्यूल कोर्ट दिखाई पड़ता था, जहाँ पण्डित नेहरू अपने विद्यार्थी-जीवन में रहा करते थे। लैण्डलेडी मिसेज़ मलेटका थी जिसने दूसरे विश्वयुद्ध के समय एक पोलिश शरणार्थी से शादी कर ली थी-मि० मलेटका अगर तीस के होंगे तो मिसेज़ मलेटका साठ की। केम्ब्रिज की लैण्डलेडियाँ 'गोल्ड डिगर' कहलाती हैं, क्योंकि वे कम-से-कम सुविधा और घटिया भोजन देकर अधिक-से-अधिक पैसे विद्यार्थियों से वसूलना चाहती हैं। सुनते हैं, कभी केम्ब्रिज में बहुत-से यहूदी आकर बसे थे, जो अपनी धन-लिप्सा के लिए संसार-भर में कुख्यात हैं। ये लैण्डलेडियाँ उन्हीं की सन्तानें होंगी, मलेटका तो निश्चय थी। केम्ब्रिज के कॉलेजों में रिहायशी जगहों की तंगी हमेशा से रही होगी और बहुत-से विद्यार्थियों को डिगों में रहना पड़ता होगा। कहते हैं, 16वीं सदी में राजा हेनरी अष्टम को केम्ब्रिज की लैण्डलेडियों के विरुद्ध एक फरमान भेजना पड़ा था कि वे विद्यार्थियों को परेशान न करें। मलेटका मेरे केम्ब्रिज प्रवास में ही मर गयी थी, अपनी सारी सम्पत्ति अपनी बेटी के नाम कर गयी थी और मि० मलेटका के लिए झंझी कौड़ी भी न छोड़ी थी। मलेटका एक दिन सड़क पर घूमता मिला तो बोला, Wife has ruined me (बीवी ने मुझे बर्बाद कर दिया!) शायद अंग्रेज़ी कानून में पति की सम्पत्ति की उत्तराधिकारी तो पत्नी होती है, पर पत्नी की सम्पत्ति का उत्तराधिकारी पति नहीं हो सकता। मलेटका की डिग में मैं चार महीने रहा, वहाँ केवल विद्यार्थी ही नहीं रहते थे, इंग्लैण्ड और योरोप के और लोग भी वहाँ आकर कई-कई हफ्ते ठहरते थे, और इस प्रकार वहाँ रहते हुए इंग्लैण्ड, जर्मनी और फ्रांस के कई लड़के, लड़कियों से मेरा परिचय हुआ, मैत्री बढ़ी।
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