परिवर्तन >> कन्यापक्ष कन्यापक्षविमल मित्र
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इसमें उर्वशी का चरित्र-चित्रण किया गया है....
प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश
सोना दीदी कहती थीःउर्वशी की तरह किसी नारी का चित्रण कर जो किसी की माँ
नहीं, बेटी नहीं, पत्नी नहीं-लेकिन सब कुछ है।
‘विक्रमोर्वशीय’ पढ़ा है न ?
लगता था, सोना दीदी मानो अपने ही बारे में कह रही हों। लेकिन मैंने जिनको देखा था, वे सब तो साधारण लड़कियाँ थीं। मुझे बड़ा घमंड था कि मैंने अनेक विचित्र नारी-चरित्र देखे हैं। लेकिन सोना दीदी की बातों से लगा कि जो सचमुच उर्वशी को देख सका है, उसके लिए तो अन्य नारियाँ तुच्छ हैं।
विमल बाबू ने अपने प्रारम्भिक जीवन में देखे ऐसे ही कुछ उर्वशी-चरित्रों का चित्रण ’कन्या पक्ष’ में किया है।
लगता था, सोना दीदी मानो अपने ही बारे में कह रही हों। लेकिन मैंने जिनको देखा था, वे सब तो साधारण लड़कियाँ थीं। मुझे बड़ा घमंड था कि मैंने अनेक विचित्र नारी-चरित्र देखे हैं। लेकिन सोना दीदी की बातों से लगा कि जो सचमुच उर्वशी को देख सका है, उसके लिए तो अन्य नारियाँ तुच्छ हैं।
विमल बाबू ने अपने प्रारम्भिक जीवन में देखे ऐसे ही कुछ उर्वशी-चरित्रों का चित्रण ’कन्या पक्ष’ में किया है।
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