श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से वयस्क किस्सेमस्तराम मस्त
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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से
बाहर के कमरे में राजू खेल में फिर व्यस्त हो गया था। कामिनी ने सबसे पहले पीठ के बल लेटकर अपने आपको सहलाते हुए दर्पणों में देखा और फिर बायीं ओर करवट बदल कर अपने शरीर के विभिन्न भागों को अलग-अलग दर्पणों में देखा। एक बार मन भर जाने पर वह ड्रेसिंग टेबिल वाले दर्पण के सामने दायीं करवट पर लेट गई फिर अपनी उंगलियों तथा हथेली को आगे पीछे करती दर्पण में देखती रही। फिर अचानक बिस्तर से उठ खड़ी हुई और दर्पण के सामने फिर से खड़ी हो गई। अपने लंबे बालों को पीछे करने के बाद घमौरियों को छोड़कर उसके शरीर पर अन्य कोई दाग अथवा चिह्न नहीं दिख रहा था। गोल माथा, प्रकृति प्रदत्त सधी हुई भौहें, सामने से हिंदी फिल्मों की एक पुरानी हीरोइन जो कि राजेश खन्ना नामक हीरो के साथ अक्सर फिल्मों में हीरोइन के रोल में आती थी, उसकी तरह सामने से हल्की उठी हई नाक। उसके लगभग पाँच फिट तीन इंच के शरीर के अनुपात से गर्दन थोड़ी अधिक लंबी थी। उसके कंधे लगभग गोल थे, जिन के आगे उत्तेजना के कारण उठे हुए उरोज जिनकी गहरी भूरी चोंच दर्पण के प्रतिबिम्ब में जबरदस्त आमंत्रण दे रही थी। कोई भी अनुभवी आदमी उसे इस हाल में देखते ही जान जाता कि वह अभिसार के लिए तत्पर थी।
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