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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


'निर्वचन'2 का अर्थ है छिपे हुए अर्थ का पता लगाना, पर जब तक स्वप्न के कार्य के बारे में ऐसा विचार बना हुआ है तब तक निर्वचन की कोशिश करने का कोई सवाल नहीं पैदा हो सकता। वुन्ट जॉड्ल और हाल के अन्य दार्शनिकों ने स्वप्नों का जो वर्णन किया है, उसे देखिए। स्वप्नों की महत्त्वहीनता बताने की दृष्टि से, वे सिर्फ यह बताकर सन्तुष्ट हो गए हैं कि स्वप्न-जीवन के जाग्रत विचार से कौनकौन भेद दिखाई देते हैं। उन्होंने साहचर्यों में सम्बन्ध-सूत्र के अभाव, आलोचनाशक्ति के प्रयोग में रुकावट, सब तरह के ज्ञान के विलोप और भीतरी कार्यों में कमी के अन्य संकेतों पर बल दिया है। स्वप्नों के बारे में हमारे यथार्थ विज्ञान ने हमारे ज्ञान को बढ़ाने में एक ही कीमती मदद की है (जिसके लिए हम उसके ऋणी हैं), और यह नींद के समय स्वप्नवस्तु पर शारीरिक उद्दीपकों के असर से सम्बन्ध रखती है। नार्वे के एक लेखक जे० मोर्ली वोल्ड ने, जिसका हाल ही में स्वर्गवास हुआ है, स्वप्नों की परीक्षणात्मक जांच पर दो बड़ी पुस्तकें लिखी हैं (जर्मन भाषा में 1910 और 1912 में जिनके अनुवाद हुए थे) जो प्रायः सारी की सारी, अंगों की स्थिति में परिवर्तन होने से उत्पन्न परिणामों से भरी पड़ी हैं। इन जांचों को स्वप्न के विषय में यथार्थ गवेषणा का आदर्श बताकर हमारे आगे पेश किया जाता है। अब क्या आप यह कल्पना कर सकते हैं कि यदि यथार्थ विज्ञान को यह पता चले कि हम स्वप्नों का अर्थ जानने की कोशिश करना चाहते हैं तो उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी? वही प्रतिक्रिया होगी जो शायद पहले प्रकट की जा चुकी है। परन्तु हम इस विचार से डरने वाले नहीं हैं। यदि यह सम्भव था कि गलतियों के पीछे कोई अर्थ हो, तो यह भी सम्भव है कि स्वप्नों के पीछे भी कोई अर्थ हो; और बहुत-से उदाहरणों में गलतियों का ऐसा अर्थ होता है जो यथार्थ विज्ञान की गवेषणाओं से प्रकट नहीं हो सका। इसलिए हम प्राचीन लोगों और जनसाधारण की धारणा को अपनाकर पुराने जमाने के स्वप्नशास्त्रियों के पदचिह्नों पर चलेंगे।

सबसे पहले इस कोशिश को शुरू करते हुए हमें अपने आधार बना लेने चाहिए, और स्वप्नों के क्षेत्र का सर्वेक्षण करना चाहिए। यथार्थतः स्वप्न क्या चीज़ हैं। एक वाक्य में इसकी परिभाषा करना कठिन है, पर हमें एक सबकी परिचित चीज़ की बात करनी है, इसलिए परिभाषा के चक्कर में पड़ने की ज़रूरत नहीं। तो भी, हमें स्वप्नों की सारभूत विशेषताएं छांटनी ही चाहिए। इन विशेषताओं का हम कैसे पता लगाएं? जिस क्षेत्र में हम घुस रहे हैं उसकी सीमाओं में जिधर भी चलें, उधर भेद ही भेद हैं-हर चीज़ दूसरी से भिन्न है। जो चीज़ सब स्वप्नों में सांझी हो, सम्भवतः वह ही सारभूत चीज़ है।

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1. Physiological Theories
2. Interpretation

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