लोगों की राय

विविध >> मनोविश्लेषण

मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

286 पाठक हैं

‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


स्वप्नों की इन विविधताओं का कारण तलाश करने के लिए हम यह कल्पना कर सकते हैं कि वे सोने और जागने के बीच की विभिन्न अवस्थाओं, अधूरी नींद के विविध स्तरों, के सूचक हैं। ठीक है; पर तब, मन जागने की अवस्था के जितनाजितना पास पहुंचता जाए, उतना-उतना ही, न केवल स्वप्नकृति के मूल्य, वस्तु और स्पष्टता में वृद्धि होनी चाहिए, बल्कि यह बोध भी बढ़ते जाना चाहिए कि यह एक स्वप्न है, और ऐसा न होना चाहिए कि स्वप्न में एक स्पष्ट और समझ में आने वाले अंश के साथ-साथ एक समझ में न आने वाला या अस्पष्ट अंश हो, और उसके बाद फिर कोई अच्छा अंश आ जाए। यह निश्चित है कि मन अपनी नींद की गहराई इतनी तेज़ी से नहीं बदल सकता। इसलिए यह व्याख्या कुछ सहायक नहीं होती। सच बात तो यह है कि जवाब पाने का कोई छोटा रास्ता नहीं है।

फिलहाल हम स्वप्न के 'अर्थ' को छोड़ देंगे, और इसके बदले स्वप्नों के साधारण अंश पर विचार करके उनके स्वरूप को अधिक अच्छी तरह समझने का मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश करेंगे। स्वप्नों का नींद से जो सम्बन्ध है, उससे हमने यह निष्कर्ष निकाला है कि स्वप्न नींद खराब करने वाले उद्दीपनों की प्रतिक्रिया है। जैसा कि मैं बता चुका हूं, एकमात्र इसी प्रश्न पर यथार्थ प्रायोगिक मनोविज्ञान हमारी मदद कर सकता है। यह इस तथ्य का प्रमाण प्रस्तुत करता है कि नींद के समय जो उद्दीपक प्रभाव डालते हैं, वे स्वप्नों में दिखाई देते हैं। इस विषय में बहुत-सी जांच-पड़ताल की गई है, और उसकी पराकाष्ठा मोर्लीवोल्ड की जांच-पड़ताल में हुई, जिसका मैंने पहले जिक्र किया है। हम लोग अपने कभी-कभी के परीक्षणों से उनके परिणामों की पुष्टि कर सकते हैं। मैं आपको उनमें से शुरू के कुछ परीक्षण बताऊंगा। मॉरी ने ये परीक्षाएं स्वयं अपने ऊपर की थीं। स्वप्न देखते हुए उसे कुछ यूडीकोलोन सुंघा दिया गया, जिस पर उसने स्वप्न में देखा कि वह काहिरा में जोहन मैरिया फैरिना की दुकान में है, और इसके बाद उसने कुछ पागलपन के साहसी कार्य किए : फिर किसी ने उसकी गर्दन पर ज़रा-सा कुछ चुभो दिया, और उसे पलस्तर लगाए जाने का और एक डाक्टर का स्वप्न आया, जिसने बचपन में उसका इलाज किया था। इसके बाद, उन्होंने उसके माथे पर एक बूंद पानी डाला और वह तुरन्त इटली पहुंच गया जहां वह पसीने-पसीने हो रहा था, और ओरविएतो की सफेद शराब पी रहा था।

परीक्षण की अवस्थाओं में पैदा किए गए इन स्वप्नों के वारे में जो खास बात है वह 'उद्दीपक' स्वप्नों की एक और श्रेणी में शायद और भी अधिक स्पष्ट हो जाएगी। ये तीन स्वप्न हैं जिनका एक कुशल प्रेक्षक हिल्डब्रांट ने वर्णन किया है, और ये तीनों अलार्म घड़ी की ध्वनि के प्रतिक्रियारूप हैं :

'बसंत ऋतु के एक प्रातःकाल में घूमने जा रहा हूं और खेतों में से गुज़रता हूं, जिनमें अभी हरियाली शुरू ही हुई है, और पास के एक गांव में पहुंचता हूं; और देखता हूं कि उसके बहुत सारे निवासी छुट्टी की पोशाकें पहने हुए चर्च जा रहे हैं, और उनके हाथों में धार्मिक गीतों की पुस्तकें हैं। बेशक यह रविवार है, और सुबह की प्रार्थना शुरू होने ही वाली है। मैं इसमें शामिल होने का निश्चय करता हूं पर क्योंकि मैं बहुत गर्म हो गया हूं, इसलिए यह सोचता हूं कि मैं पहले चर्च के चारों ओर वाले आंगन में ठण्डा हो लूं। वहां कुछ कब्र-लेखों को पढ़ते हुए मैं घण्टा बजाने वाले आदमी को मीनार पर चढता सनता हं जहां अब बहत ऊंचाई पर मुझे गांव का छोटा-सा घण्टा दिखाई पड़ता है, जो प्रार्थना शुरू होने का संकेत करेगा। कुछ समय तक और वह मौन रहता है, फिर झूलने लगता है, और एकाएक साफ और कान बेधने वाले स्वर में घण्टा बजने लगता है। उसकी ध्वनि इतनी साफ और बेधने वाली है कि मेरी नींद टूट जाती है पर घण्टे की ध्वनि अलार्म घड़ी से आ रही है।'

प्रतिबिम्बों का एक और मेल है, 'यह शिशिर ऋतु का चमकीला दिन है और सड़कों पर गहरी बर्फ पड़ी हुई है। मैंने बर्फगाड़ी की यात्रा में शामिल होने का वचन दिया है। बहुत देर तक प्रतीक्षा करने के बाद मुझे बताया जाता है कि बर्फगाड़ी दरवाजे पर है। इसके बाद उसके अन्दर बैठने की तैयारियां होती हैं; समूर का गलीचा बिछा दिया जाता है और मोज़े लाए जाते हैं और अन्त में मैं अपनी जगह बैठ जाता हूं, पर अब भी कुछ देर है, और घोड़े रवाना होने के लिए संकेत की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके बाद लगामों को झटका दिया जाता है, और छोटी-छोटी घण्टियां, जो बुरी तरह हिल उठी हैं, अपना परिचित संगीत इतने ऊंचे स्वर से शुरू कर देती हैं कि क्षण-भर में स्वप्न का जाल ट्ट जाता है। यहां भी यह अलार्म घडी की तीखी आवाज़ के सिवा कुछ नहीं है।'

अब तीसरा उदाहरण लीजिए, 'मैं रसोई बनाने वाली नौकरानी को देखता हूं, जिसके पास एक-दूसरे के ऊपर रखी हुई दर्जनों प्लेटें हैं। वह भोजनकक्ष के रास्ते पर जा रही है। मुझे ऐसा मालूम होता है कि उसके हाथों में चीनी के बर्तनों का जो पिरामिड है, वह धम से नीचे आने वाला है। मैं उसे चेतावनी देता हूं, सावधान, तुम्हारी सारी प्लेटें ज़मीन पर गिर पड़ेंगी। मुझे वही सादा वादा उत्तर मिलता है : हमें चीनी के बर्तनों को इस तरह ले जाने की आदत पड़ी हुई है-इत्यादि; उसके चेहरे पर उत्सुकता है। मैं उसके पीछे-पीछे जाता हूं। मैंने पहले ही सोचा था कि अगली बात यह होगी-वह देहली पर ठोकर खाती है, चीनी के बर्तन गिर जाते हैं, और टुकड़े-टुकड़े होकर ज़मीन पर फैल जाते हैं, लेकिन मैं शीघ्र ही जान जाता हूं कि वह खत्म न होने वाली लम्बी ध्वनि वास्तव में बर्तन टूटने की ध्वनि नहीं है, बल्कि अलार्म घड़ी के नियमित बजने की आवाज़ है, जैसा कि अन्त में जागने पर मैं देखता हूं।'

ये स्वप्न बड़े सुन्दर तथा बिलकुल अर्थयुक्त हैं और ऐसे असम्बद्ध नहीं हैं, जैसे कि स्वप्न प्रायः होते हैं। इस आधार पर हमें उनसे कोई विवाद नहीं है। उन सबमें सामान्य चीज़ यह है कि प्रत्येक अवस्था में स्थिति शोर से पैदा होती है और जगाने पर स्वप्न देखने वाला पहचान लेता है कि यह अलार्म घड़ी की आवाज़ है। इस प्रकार हम देखते हैं कि स्वप्न कैसे पैदा होता है, पर यहां इससे कुछ अधिक बात दिखाई देती है। स्वप्न में घड़ी नहीं पहचानी जाती, वह उसमें दिखाई भी नहीं देती, पर घड़ी के शोर के स्थान पर दूसरा शोर आ जाता है; जो उद्दीपक नींद में गड़बड़ डालता है उसका कुछ रूप बन जाता है पर प्रत्येक उदाहरण में भिन्न रूप बनता है। ऐसा क्यों होता है? इसका कोई उत्तर नहीं; यह बिलकुल मनमानी बात मालूम होती है। पर स्वप्न को समझने के लिए आवश्यक है कि हम इस बात का कारण बता सकें कि अलार्म घड़ी द्वारा पेश किए गए उद्दीपन से वही शोर क्यों बना, कोई और क्यों नहीं बना। इसी तरह, हमें मॉरी के परीक्षणों पर एक एतराज़ उठाना है कि यद्यपि यह स्पष्ट है कि सोने वाले पर प्रयुक्त उद्दीपक स्वप्न में अवश्य दिखाई देता है, पर उसके परीक्षणों से इस प्रश्न की व्याख्या नहीं होती कि वह ठीक उसी रूप में क्यों प्रकट होता है, क्योंकि नींद बिगाड़ने वाले उद्दीपक की प्रकृति से उस रूप की व्याख्या नहीं होती। और फिर, मॉरी के परीक्षणों में उद्दीपक के सीधे परिणाम के साथ और बहुत सारी स्वप्न-सामग्री थी, जैसे यूडीकोलोन वाले स्वप्न में पागलों के से साहसिक काम, जिनका कोई कारण समझ में नहीं आता।

अब आप यह समझ सकते हैं कि जो स्वप्न मनुष्य को जगा देते हैं, उनमें ही बाहरी नींद बिगाड़ने वाले उद्दीपकों के प्रभाव को जानने का सबसे अच्छा मौका है। दूसरे अधिकतर उदाहरणों में यह काम अधिक कठिन होगा। सब स्वप्नों में हमारी नींद नहीं खुलती, और यदि सवेरे हमें पिछली रात का स्वप्न याद है तो हम यह कैसे कह सकते हैं कि शायद इसका कारण रात में क्रिया करने वाला नींद का विघातक उद्दीपक था? एक बार मुझे इस तरह के ध्वनि-उद्दीपक की घटना बाद में स्थापित करने में सफलता हुई थी, पर उसका कारण उसकी विशेष परिस्थितियां थीं। एक बार मैं टाइरोलीज पर्वत के किसी स्थान पर सवेरे जागा तो मुझे यह ध्यान था कि मैंने स्वप्न में पोप के मर जाने की घटना देखी है। मैं अपने स्वप्न की कुछ भी व्याख्या न कर सका पर बाद में मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा, 'क्या आपने आज बहुत सवेरे सब चर्चों और उपासनागृहों में बजते हुए घण्टों का भयंकर शोर सुना था?' नहीं, मैंने कुछ नहीं सुना था। मेरी नींद बहुत गहरी होती है, पर उसके यह बताने से मैं अपना स्वप्न समझ गया। क्या यह हो सकता है कि इस तरह के उद्दीपक सोने वाले में स्वप्न पैदा कर दें और बाद में सोने वाले को सुनाई भी न दें? हां, बहत बार कर सकते हैं और बहुत बार नहीं भी कर सकते। यदि हमें उद्दीपक की कोई जानकारी न मिल सके तो हम इस विषय में निश्चित नहीं हो सकते। और इसके अलावा भी, हमने नींद बिगाड़ने वाले बाहरी उद्दीपकों का कोई मूल्यांकन करना छोड़ दिया है, क्योंकि हम जानते हैं कि उनसे स्वप्न के एक बहुत छोटे-से हिस्से की ही व्याख्या होती है, सारी स्वप्न-प्रतिक्रिया की नहीं।

इस कारण हमें इस सिद्धान्त को पूरी तरह छोड़ देने की आवश्यकता नहीं। इसकी जांच करने का एक और भी तरीका हो सकता है। स्पष्ट है कि यह बात महत्त्वहीन है कि किस चीज़ से नींद बिगड़ती है और मन में स्वप्न पैदा होता है। यदि हमेशा यह ज़रूरी नहीं कि यह कोई बाहरी चीज़ ही हो जो किसी ज्ञानेन्द्रिय पर उद्दीपन के रूप में क्रिया करती है, तो यह सम्भव है कि इसके बदले भीतरी अंगों में से कोई उद्दीपक क्रिया करता हो, जिसे कायिक1 उद्दीपक कहते हैं। यह कल्पना सत्य के बहुत नज़दीक मालूम होती है, और साथ ही स्वप्नों के पैदा होने के बारे में प्रचलित आम विचार से भी मेल खाती है, क्योंकि आमतौर से कहा जाता है कि स्वप्न पेट से पैदा होते हैं। बदकिस्मती से यहां फिर हमें मानना होगा कि बहुत सारे उदाहरणों में रात के समय क्रियाशील कायिक उद्दीपन के विषय में जागने के बाद जानकारी नहीं मिल सकती, और इस कारण इसे प्रमाणित नहीं किया जा सकता। पर हम इस तथ्य को आंख से ओझल नहीं करेंगे कि बहुत-से विश्वसनीय अनुभवों से इस विचार की पुष्टि होती है कि स्वप्न कायिक उद्दीपनों से उत्पन्न हो सकते हैं। कुल मिलाकर, इसमें कोई शक नहीं कि भीतरी अंगों की अवस्था का स्वप्नों पर प्रभाव पड़ता है। बहुत-से स्वप्नों की वस्तु का मूत्राशय के भर जाने, या जननेन्द्रियों के उत्तेजन की अवस्था, से सम्बन्ध इतना स्पष्ट है कि इसमें गलती की गुंजायश नहीं हो सकती। इन स्पष्ट उदाहरणों के बाद हम दूसरे उदाहरणों पर आते हैं, जिनमें, यदि स्वप्नों की वस्तु के आधार पर फैसला किया जाए तो कम-से-कम हमारा यह सन्देह करना उचित है कि ऐसे कुछ कायिक उद्दीपन कार्य करते रहे हैं, क्योंकि इस वस्तु में कुछ ऐसी चीज़ है जिसे इन उद्दीपनों का स्पष्ट रूप या निरूपण या निर्वचन माना जा सकता है। शरनर ने, जिसने स्वप्नों के बारे में खोज की थी (1861), इस विचार का प्रबल समर्थन किया है। वह स्वप्नों का जन्म शारीरिक उद्दीपनों से मानता आया है, और उसने इसके कछ उत्तम उदाहरण दिए हैं। उदाहरण के लिए. वह एक स्वप्न में देखता है कि 'दो पंक्तियों में सुन्दर लड़के खड़े हैं, जिनके बाल सुन्दर हैं और चेहरे नाजुक हैं; वे एक-दूसरे को ललकार रहे हैं, आपस में लड़ रहे हैं, एक-दूसरे को पकड़ रहे हैं, और फिर छोड़कर अपने पहले वाले स्थानों में पहुंच जाते हैं, और फिर वही सारा क्रम शुरू हो जाता है। लड़कों की दो कतारों का अर्थ उसने दांतों की पंक्तियां बताया था जो अपने-आपमें तर्कसंगत है, और तब इसकी पूरी तरह पुष्टि हुई मालूम होती है जब इस दृश्य के बाद स्वप्न देखने वाला अपने जबड़े में से एक लम्बा दांत खींच लेता है। इसी प्रकार 'लम्बे, संकरे, घुमावदार मार्गों का यह अर्थ, कि वे आंतों में उत्पन्न उद्दीपन से पैदा हुए हैं, ठीक मालूम होता है, और शरनर के इस कथन की पुष्टि करता है कि स्वप्न मुख्यतः उस अंग का रूप उस जैसे पदार्थों द्वारा प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं, जिससे उद्दीपन पैदा होता है।

--------------------------
1. Somatic

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai