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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद
यह तथ्य, कि पिता मर गया था, हम जानते हैं : पर असल में उसे गाड़ा नहीं गया
था। असल में आगे होने वाली बातों से इस प्रश्न का कुछ भी सम्बन्ध नहीं है कि
असली तथ्य क्या था। पर स्वप्न देखने वाले ने कहा कि अपने पिता के अन्तिम
संस्कार से लौटने के बाद उसका एक दांत दर्द करने लगा। वह यहूदी धर्मवचन, 'यदि
तेरा दांत दर्द करे तो उसे निकाल दे' के अनुसार चलना चाहता था, और इसलिए दांत
निकालने वाले के पास गया पर दांत निकालने वाले ने कहा कि ऐसे काम नहीं चलेगा,
थोड़ा धीरज रखो। 'मैं इसमें,' दांत निकालने वाले ने कहा, 'कुछ लगाकर स्नायु
को संज्ञाहीन कर दूंगा और तीन दिन बाद तुम आना, तब मैं इसे निकाल दूंगा।' 'यह
निकालना, स्वप्नद्रष्टा एकाएक बोला, 'ही गाड़ना है।'
क्या उसका कहना सही था? सच है कि यहां ठीक सादृश्य नहीं है क्योंकि दांत नहीं
निकाला गया, बल्कि उसका सिर्फ एक मर्दा अंश निकाला गया है. पर अनुभव से हमें
यह पता चलेगा कि इस तरह की गलतियां स्वप्नतन्त्र पैदा करता है। हम यह कल्पना
करते हैं कि स्वप्नद्रष्टा ने संघनन के प्रक्रम द्वारा मृत पिता और दांत को,
जो मरा हुआ था पर फिर भी मौजूद था, मिलाकर एक कर लिया था, इसलिए कोई आश्चर्य
की बात नहीं कि व्यक्त स्वप्न में बेतुकापन आ गया; क्योंकि स्पष्टतः दांत के
बारे में कही गई सारी बात पिता पर लागू नहीं हो सकती। तब फिर पिता और दांत
दोनों में ऐसी सामान्य बात कौन-सी है जिससे इनकी तुलना हो सके।
ऐसी कोई बात अवश्य रही होगी, क्योंकि स्वप्नद्रष्टा ने आगे बताया कि मैं इस
कहावत से परिचित हूं कि यदि किसी को एक दांत टटने का स्वप्न आए तो इसका अर्थ
यह है कि उसके परिवार का कोई व्यक्ति विदा होने वाला है।
हम जानते हैं कि यह आम प्रचलित निर्वचन गलत है या एक बड़े विकृत अर्थ में ही
सही है। इसलिए हमें सचमुच यह पता लगने पर और भी आश्चर्य होगा कि स्वप्नवस्तु
के अन्य अवयवों के पीछे इस प्रकार संकेत से सूचित की गई बात क्या है।
इसके बाद बिना किसी अनुरोध के, स्वप्नद्रष्टा अपने पिता की बीमारी और मृत्यु
के, तथा अपने और अपने पिता के सम्बन्धों के बारे में बातचीत करने लगा। बीमारी
बहुत लम्बी चली थी और पिता की देखभाल और इलाज में पुत्र को बहुत धन खर्च करना
पड़ा था। पर उसे वह खर्च भारी नहीं मालूम हुआ न उसने कभी धीरज छोड़ा, और न
उसके मन में यह इच्छा ही हुई कि पिता का अन्त जल्दी आ जाए। उसे अपनी सच्चे
यहूदियों के योग्य पितृभक्ति पर और यहूदी धर्म का पूरी तरह पालन करने पर
अभिमान था। क्या यहां हमें स्वप्न से सम्बन्धित विचारों में कोई परस्पर विरोध
नहीं अनुभव होता? उसने दांत और पिता को एक बताया था। वह यहूदी धर्म के अनुसार
ही दांत को निकाल डालना चाहता था। यहूदी धर्म कहता है कि दर्द करने वाले दांत
को भी निकाल देना चाहिए। वह अपने पिता से भी धर्म के आदेश के अनुसार ही
व्यवहार करना चाहता था। पर यहां धर्म का आदेश यह था कि उसे खर्च और परेशानी
की परवाह नहीं करनी चाहिए, सारा बोझ अपने ऊपर लेना चाहिए, और अपने मन में
अपनी परेशानी के कारण कोई विरुद्ध बात नहीं आने देनी चाहिए। क्या इन दोनों
स्थितियों में तब अधिक अच्छा मेल न हो जाता यदि उसने अपने रोगी पिता के प्रति
भी धीरे-धीरे सचमुच वे ही भावनाएं अपनाई होतीं जो उसने अपने रोगी दांत के
प्रति अपनाई थीं, अर्थात् यदि उसने मृत्यु से यह चाहा होता कि वह उसके पिता
के अनावश्यक, कष्टकारक और महंगे जीवन का जल्दी खात्मा कर दे?
मुझे ज़रा भी सन्देह नहीं कि असल में लम्बी बीमारी में अपने पिता के प्रति
उसका यही रुख रहा था और दिखावटी तौर से उसका अपनी पितृभक्ति पर जोर देना इस
तरह की स्मृतियों को अपने मन से दूर रखने के उद्देश्य से था। इस तरह की
अवस्थाओं में पिता की मृत्यु की इच्छा पैदा हो जाना, और उसे कोई ऐसा करुण
उद्गार प्रकट करके, जैसे 'इससे वह कष्ट से मुक्त हो जाएगा' छिपाना कोई
असामान्य बात नहीं है। पर मैं विशेष रूप से आपको यह ध्यान दिलाना चाहता हूं
कि यहां गुप्त विचारों में ही एक बाधा दूर हो गई है। हम निश्चित रूप से मान
सकते हैं कि विचारों का पहला भाग सिर्फ अस्थायी रूप से अचेतन था, अर्थात्
स्वप्नतन्त्र के वास्तविक प्रक्रम के समय वह अचेतन था। दूसरी ओर, पिता के
प्रति भावनाएं सम्भाव्यतः स्थायी रूप से, और हो सकता है कि बचपन से ही,
विरोधी थीं, और पिता की बीमारी के दिनों में मानो डरते-डरते और छिपे रूप में
ये चेतना में घुस आई थीं। यह बात अन्य गुप्त विचारों के बारे में, जो
असन्दिग्ध रूप से स्वप्न की वस्तु के सहायक हुए हैं, हम और भी अधिक निश्चय के
साथ कह सकते हैं। यह सच है कि इसमें पिता के प्रति विरोधी भावनाओं के कोई
संकेत नहीं हैं, पर जब हम बच्चे के जीवन में इन विरोधी भावों के उद्गम की खोज
करते हैं, तब हमें यह याद आता है कि पिता का भय इस कारण उत्पन्न होता है कि
जीवन के आरम्भिक वर्षों में वह ही लड़के की यौन चेष्टाओं का विरोध करता है,
जैसा कि उसे पुत्र में जवानी आने के बाद सामाजिक दृष्टि से प्रायः मजबूरन
करना पड़ता है। हमारे स्वप्नद्रष्टा का अपने पिता से यह सम्बन्ध था। उसके
पितृप्रेम में आदर और भय मिले हुए थे, और इस भय का मूल यह था कि शुरू में यौन
चेष्टाओं से बचने के लिए उसे डराया गया।
स्वप्न की अगली बातों की व्याख्या हम स्वयं रति-ग्रन्थि1 से कर सकते हैं। 'वह
बीमार लगता था', यह दांत के डाक्टर के इस कथन का कि इस जगह से दांत का हट
जाना अच्छा नहीं लगता, निर्देश था; पर यह साथ ही उस 'बीमार (अर्थात् बरा)
लगने का भी निर्देश करता है जिससे वह युवक अपनी तरुणाई के दिनों में अपनी
अत्यधिक यौन चेष्टाओं को प्रदर्शित करता है, या उनके प्रदर्शित हो जाने से
डरता है। स्वप्नद्रष्टा ने अपना दिल हलका करने के लिए व्यक्त स्वप्न में
बीमारी का रूप अपने ऊपर से हटाकर अपने पिता पर पहुंचा दिया था। आप जानते ही
हैं कि इस तरह का अपवर्तन2 या विस्थापन अर्थात् कोई बात किसी स्थान से हटाकर
दूसरी जगह पहुंचा देना, स्वप्नतन्त्र की एक युक्ति है। यह बात कि 'वह ज़िन्दा
रहा', पिता को फिर जीवित देखने की इच्छा तथा दांत-डाक्टर के दांत को बचाने के
वायदे, इन दोनों से मेल खाती है। यह कथन कि 'मैंने भरसक कोशिश की कि वह इसे न
देख सके' बड़े सूक्ष्म तरीके से हमें यह बात इस तरह पूरी करने के लिए प्रेरित
करता है कि 'वह मृत था।' पर उनको ऐसे ढंग से पूरा करने का कि उसका सचमुच कुछ
अर्थ बन जाए, जो एकमात्र तरीका है, वह भी हमें स्वयं रति-ग्रन्थि की सूचना
देता है; क्योंकि यह सामान्य बात है कि वह नौजवान अपने यौन जीवन को अपने पिता
से छिपाने की भरसक कोशिश करे। अन्त में मैं आपको यह याद दिलाना चाहता हूं कि
तथाकथित 'दांत-दर्द के स्वप्न' सदा स्वयं-रति और इसकी आशंकित सज़ा का ही
निर्देश करते हैं।
आपने देखा कि किस तरह यह समझ में न आने वाला स्वप्न, एक विशेष प्रकार के और
भ्रम में डालने वाले संघनन द्वारा, इसमें से उन सब विचारों का विलोप कर देता
है जो गप्त विचार-श्रेणी के असली केन्द्र से सम्बन्धित हैं; और जो विचार सबसे
गहरे और समय की दृष्टि से सबसे दूर वाले थे, उन्हें निरूपित करने के लिए दो
तरह के अर्थों वाली स्थानापन्न रचनाएं पैदा करके बना है।
4. हम उन विशेषताहीन और तुच्छ स्वप्नों की जड़ तक पहले पहुंचने की बारबार
कोशिश कर चुके हैं जिनमें कोई बेतुकी या अजीब बात नहीं होती बल्कि जिनसे यह
प्रश्न पैदा होता है : हमें ऐसी तुच्छ बातों का स्वप्न क्यों आता है? इसलिए
मैं इस तरह का एक नया उदाहरण दूंगा, जिनमें एक-दूसरे से जुड़े हुए तीन स्वप्न
हैं जो एक युवती महिला ने एक ही रात में देखे थे।
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1. Onanism Complex
2. Inversion
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