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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


(क) स्वप्नद्रष्टा एक यात्रा करने वाला था और उसका सामान एक गाड़ी में स्टेशन ले जाया जा रहा था। उसमें एक-दूसरे के ऊपर बहुत-से सन्दूक लदे हुए थे और उनमें दो बड़े काले सन्दूक वैसे थे जैसे कि एजेण्टों के होते हैं। उसने दिलासा देते हुए किसी से कहा, “देखो, वे सिर्फ स्टेशन तक जा रहे हैं।'

असल में, वह बहुत सारे सामान के साथ सफर करता है और इलाज में स्त्रियों सम्बन्धी बहुत-से किस्से बताए। दो काले सन्दूक दो काली स्त्रियों के प्रतीक हैं जो उस समय उसके जीवन में प्रमख स्थान रखती थीं। उनमें से एक उसके पास वियेना आना चाहती थी। पर मेरी सलाह से उसने उसे, तार द्वारा, आने से रोक दिया।

(ख) चुंगीघर का एक दृश्य : एक सहयात्री ने उसका सन्दूक खोला और बेतकल्लुफी से सिगरेट पीते हुए कहा, 'उसमें चुंगी योग्य कोई चीज़ नहीं।' चुंगी अधिकारी उस पर विश्वास करता मालूम दिया, पर उसने फिर सन्दूक में हाथ डाला और एक सख्त निषिद्ध चीज़ उसमें मिली। तब यात्री ने लाचारी के ढंग से कहा, 'क्या करूं इसके लिए लाचार हूं।' स्वप्नद्रष्टा स्वयं यात्री है, और मैं चुंगी अफसर हूं। साधारणतया वह मेरे साथ बहुत साफ और सीधा रहता है, पर उसने एक नया सम्बन्ध, जो उसने हाल में ही एक महिला के साथ स्थापित किया था, मुझसे छिपाने का पक्का इरादा किया था; क्योंकि उसकी कल्पना थी, और बिलकुल ठीक थी, कि मैं उस महिला को जानता था। वह इस चीज़ के पता लग जाने से उत्पन्न दुविधा और परेशानी की स्थिति एक अपरिचित पर डाल देता है, जिससे यह प्रतीत होता है कि वह स्वयं स्वप्न में बिलकुल नहीं आता।

9. अब मैं एक ऐसे प्रतीक का उदाहरण देता हूं जिसका मैंने अब तक उल्लेख नहीं किया :

स्वप्नद्रष्टा को अभी उसकी बहन मिली जिसके साथ उसकी दो सहेलियां थीं, जो आपस में बहनें थीं। उसने उन दोनों से हाथ मिलाया, पर अपनी बहन से नहीं मिलाया।

इसके साथ सम्बन्धित कोई असली घटना उसके मन में नहीं थी। असल में उसके विचार उस समय में पहुंच गए थे जब उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ करता था कि लड़की की छातियां इतनी देर में क्यों बढ़ती हैं। इसलिए दो बहनें छातियों की प्रतीक हैं। वह उन्हें अपने हाथ से पकड़ना पसन्द करता यदि वे उसकी बहनें न होतीं।

10. स्वप्नों में मृत्यु-प्रतीकात्मकता का एक उदाहरण है :

स्वप्नद्रष्टा एक बहुत ऊंचा, सीधा, लोहे का पुल पार कर रहा था, और उसके साथ दो आदमी थे जिनके नाम वह जानता था, पर जागने पर भूल गया। एकाएक वे दोनों गायब हो गए और उसने एक भूत जैसा आदमी देखा, जिसने टोपी और बड़ा चोगा पहन रखा था। उसने उससे पूछा कि क्या तुम तारघर के हरकारे हो?...'नहीं।'...या गाड़ी वाले हो?...'नहीं।'...इसके बाद वह आगे चला गया और स्वप्न में उसे बड़ा डर लगा; जागने पर वह यह कल्पना करने लगा कि लोहे का पुल एकाएक टूट गया और वह गहरे खड्ड में जा गिरा।

जब इस बात पर बल दिया जाता है कि स्वप्न में दिखाई दिए व्यक्ति स्वप्नद्रष्टा के अपरिचित हैं, या वह उनके नाम भूल गया है, तब साधारणतया वे ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनके साथ उनका घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। स्वप्नद्रष्टा के परिवार में तीन बच्चे थे। यदि उसने शेष दो बच्चों की मृत्यु की कामना की होती, तभी उसे मृत्यु का भय लगना चाहिए। तार के हरकारे के बारे में उसने कहा कि वे सदा बुरी खबर लाते हैं। अपनी वर्दी के अनुसार, स्वप्न में दिखलाई दिया मनुष्य लैंप जलाने वाला भी हो सकता था, जो लैंप बुझाता भी है क्योंकि मृत्यु जीवन की रोशनी को बुझाती है। गाड़ी वाले के बारे में उसके मन में राजा कार्ल की जलयात्रा के विषय में ऊलैंड की कविता थी। उसने दो साथियों के साथ एक झील पर की गई खतरनाक यात्रा का भी स्मरण किया, जिसमें उसने कविता में वर्णित राजा का अभिनय किया था। लोहे का पुल उसे एक हाल की दुर्घटना की और इस मूर्खतापूर्ण कहावत की याद दिलाता था, 'जीवन एक लटका हुआ पुल है।'

11. यह मृत्यु-स्वप्न का एक और उदाहरण माना जा सकता है :

कोई अपरिचित सज्जन स्वप्नद्रष्टा के ऊपर काली किनारी वाला विजिटिंग कार्ड डाल रहा था।

12. अब मैं आपके सामने एक और स्वप्न रखता हूं जो कई दृष्टियों से दिलचस्प लगेगा, परन्तु इसका आंशिक कारण स्वप्नद्रष्टा में स्नायुरोग की अवस्था का होना है।

वह एक रेलगाड़ी में था जो खुली जगह रुकी। उसने सोचा कि कोई दुर्घटना होने वाली है और इसलिए मुझे भाग निकलना चाहिए। अतः सब डिब्बों में जाकर उसने गार्ड, ड्राइवर आदि जो भी कोई मिला, सबको मार डाला।

इस स्वप्न से उसे एक दोस्त द्वारा सुनाई गई कहानी याद आई। किसी इटालियन रेलवे लाइन पर एक छोटे डिब्बे में एक पागल आदमी को ले जाया जा रहा था, पर गलती से एक मुसाफिर को उस डिब्बे में आ जाने दिया गया। पागल आदमी ने दूसरे यात्री की हत्या कर दी। इस प्रकार स्वप्नद्रष्टा ने अपने-आपको वह पागल आदमी बना लिया। इसका कारण यह था कि उसे कभी-कभी इस मनोग्रस्तता से परेशानी होती थी कि मुझे 'उन सबके साथ, जिन्हें मेरी बातों का ज्ञान है', भाग जाना चाहिए। इसके बाद उसने स्वयं स्वप्न का अधिक अच्छा प्रयोजन तलाश किया : पिछले दिन उसने थियेटर में एक लड़की को देखा था, जिससे वह विवाह करना चाहता था, पर उसने अपना यह विचार त्याग दिया था, क्योंकि उस लड़की ने उसके लिए ईर्ष्या का कारण पैदा किया। ईर्ष्या उसमें कितने तीव्र रूप में हो सकती थी, यह जानने पर भी वह उससे शादी करने की इच्छा रखता तो सचमच पागल हो जाता। कहने का मतलब यह है कि वह उसे इतना अविश्वसनीय समझता था कि अपनी ईर्ष्या के कारण वह अपने रास्ते में रोड़ा डालने वाले हर किसी की हत्या कर देता। कई कमरों में से, या यहां की तरह डिब्बों में से, गुज़रना, जैसा कि हम पहले देख चुके हैं, विवाह का प्रतीक है। (विरोधी बातों के नियम के अनुसार यह एकपत्नीत्व को प्रकट करता है।)

खुली जगह में गाड़ी के रुकने और दुर्घटना के भय के बारे में उसने यह किस्सा सुनाया :

एक बार स्टेशन से बाहर रेलवे लाइन पर इस तरह एकाएक गाड़ी रुकने पर डिब्बे में बैठी हुई एक नवयुवती ने कहा था कि शायद गाड़ियों में टक्कर होने वाली है, और सबसे अच्छा यह होगा कि टांगें ऊंची उठा ली जाएं। 'टांगें उठाना' पदावली के साथ उसके देहात में बहुत बार की गई यात्राओं के साहचर्य थे, जिनमें वह ऊपर बताई गई लड़की के साथ अपने प्रेम के आरम्भिक सुखमय दिनों में गया था। यह इस बात के लिए, कि यदि वह उससे अब विवाह करे तो पागल हो जाएगा एक और युक्ति है। तो भी स्थिति को देखकर मेरा यह निश्चित विचार बना कि उसमें तब भी पागलपन का शिकार होने की इच्छा थी।

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