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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


इस जानकारी का एक और समस्या पर जो अब तक हल नहीं हो सकी है, कुछ असर पड़ता है। आपको हमारी इस खोज से उत्पन्न आश्चर्य का स्मरण होगा कि स्वप्न बहुत अधिक बुरी या बहुत अधिक कामुक इच्छाओं से पैदा होते हैं, और इस कारण स्वप्न-सेन्सरशिप और स्वप्न-विपर्यास, ये दोनों आवश्यक हो गए हैं। अब मान लीजिए कि हमने इस तरह के स्वप्न का निर्वचन किया है और परिस्थितियां विशेष रूप से ऐसी अनुकूल हैं कि स्वप्नद्रष्टा हमारे निर्वचन पर कोई आपत्ति नहीं उठाता। तो भी, वह सदा यह पूछता है कि मेरे मन में ऐसी इच्छा कैसे आ सकती है क्योंकि यह उसे बिलकुल अपरिचित मालूम होती है और वह जानता है कि मैं ठीक इससे उलटी इच्छा किया करता हूं। हमें उसे यह बताने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि जिस इच्छा का वह खण्डन करता है, उसका मूल या उद्गम कहां है। ये दूषित आवेग अतीतकाल में और प्रायः निकट अतीतकाल की घटनाओं में मौजूद होते हैं। यह भी उससे प्रत्यक्ष कराया जा सकता है कि कभी वह उन्हें जानता था और उनके बारे में सचेत था, चाहे अब यह बात न हो। एक स्त्री को, जिसे इस अर्थ वाला स्वप्न आया कि वह अपनी एकमात्र पुत्री (जो तब 17 वर्ष की थी) को मरा हुआ देखना चाहती थी, हमारी सहायता से यह पता चला कि एक समय उसके मन में सचमुच ही यह मृत्यु की इच्छा रही थी। यह बच्ची एक दुःखद विवाह की सन्तान थी, जिसमें पति-पत्नी शीघ्र ही अलग हो गए थे। एक बार जब यह बच्ची नहीं पैदा हुई थी, माता ने अपने पति के साथ जोर का झगड़ा होने के बाद क्रोध के आवेग में अपने गर्भ के बच्चे को मारने के लिए अपने शरीर को मुक्कों से पीटा था। कितनी ही माताओं ने, जो आज अनेक बच्चों को बहुत प्यार करती हैं, बड़ी अनिच्छा से उन्हें गर्भ में धारण किया था, और यह चाहा था कि उनके भीतर मौजूद जीव और आगे न बढ़े, और अपनी इस इच्छा को अनेक क्रियाओं में परिणत किया था, जो खुशकिस्मती से हानिरहित प्रकार की थीं। इस प्रकार, प्रिय व्यक्तियों के विरुद्ध वाद में होने वाली मृत्यु की इच्छा, जो एक पहेली मालूम होती है, उनसे सम्बन्धित होने के आरम्भिक दिनों से जुड़ी रहती है।

एक पिता को, जिसका स्वप्न यह सूचित करता है कि वह अपनी सबसे बड़ी और प्रिय सन्तान की मृत्यु चाहता था, इसी तरह यह याद करना पड़ता है कि एक समय था, जब वह अपनी इस इच्छा से अपरिचित नहीं था। वह पुरुष, जिसका विवाह निराशाजनक सिद्ध हुआ था, प्रायः सोचता था उस समय यह बालक अभी शिशु ही था कि यदि वह छोटा-सा प्राणी, जो उसके लिए कुछ भी अर्थ नहीं रखता था, मर जाए तो वह फिर आजाद हो जाएगा, और अपनी आज़ादी का अधिक अच्छा उपयोग कर सकेगा। घृणा के बहुत सारे इसी तरह के आवेगों का मूल इसी तरह का होता है। वे अतीत काल की किसी वस्तु की, जो कभी चेतना में थी और मानसिक जीवन में अपना स्थान रखती थी, स्मृतियां हैं। इससे आप यह निष्कर्ष निकालना चाहेंगे कि इस तरह के स्वप्न और इस तरह की इच्छाएं उन मामलों में नहीं होंगी जिनमें दो व्यक्तियों के सम्बन्धों में इस तरह के कोई परिवर्तन नहीं हुए हैं। मैं आपको यह निष्कर्ष निकालने की अनुमति देने को तैयार हूं, पर यह चेतावनी दे देना चाहता हूं कि आपको स्वप्न के शाब्दिक अर्थ पर विचार नहीं करना है, बल्कि निर्वचन से प्रगट होने वाले तात्पर्य पर विचार करना है। हो सकता है किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु का व्यक्त स्वप्न इसे भयंकर नकाब के रूप में काम ला रहा हो, और असल में उसका अर्थ बिलकुल दूसरा ही हो, या सम्भव है कि प्रिय व्यक्ति किसी और का मिथ्या या मायात्मक1 स्थानापन्न हो।

परन्तु इस स्थिति से आपके मन में एक और गम्भीर सवाल पैदा होगा। आप कहेंगे, 'यद्यपि मृत्यु की यह इच्छा किसी समय सचमुच थी, और स्मृति से इसकी पुष्टि होती है, पर यह कोई सच्ची व्याख्या नहीं है; क्योंकि अब इस इच्छा को हुए बहुत समय हो चुका है, और इस समय यह निश्चित रूप से अचेतन में एक स्मृति के रूप में ही रह सकती है, इसका भावात्मक मूल्य कुछ भी नहीं है, और एक शक्तिशाली उत्तेजक कारक के रूप में नहीं रह सकती। इस पिछली कल्पना के लिए हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है। 'स्वप्न में कोई इच्छा याद ही क्यों आती है?' यह प्रश्न पूछना सचमुच आपके लिए उचित है। इसका उत्तर देने की कोशिश करते हुए हम बहुत दूर पहुंच जाएंगे और हमें स्वप्न-सिद्धान्त के बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न के बारे में अपनी स्थिति प्रकट करनी होगी पर मुझे अपने विवेचन की सीमाओं में रहना है और इस प्रश्न पर अभी विचार करने का प्रलोभन छोड़ना होगा। इसलिए फिलहाल, आप इसे यहीं छोड़ने को तैयार हो जाएं। हमें इस वास्तविक प्रमाण से ही सन्तोष कर लेना चाहिए कि बहुत समय से दबी हुई इस इच्छा के कारण ही स्वप्न का पैदा होना सिद्ध किया जा सकता है, और हमें इस प्रश्न की जांच जारी रखनी चाहिए कि क्या अन्य दूषित इच्छाओं का मूल भी इसी तरह पीछे की घटनाओं में तलाश किया जा सकता है।

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1. Illusory

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