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धर्म एवं दर्शन >> हमारे पूज्य देवी-देवता

हमारे पूज्य देवी-देवता

स्वामी अवधेशानन्द गिरि

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8953
आईएसबीएन :9788131010860

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’देवता’ का अर्थ दिव्य गुणों से संपन्न महान व्यक्तित्वों से है। जो सदा, बिना किसी अपेक्षा के सभी को देता है, उसे भी ’देवता’ कहा जाता है...

महागौरी

मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम 'महागौरी' है। इनका वर्ण पूर्णत: गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर वाले दाएं हाथ में अभयमुद्रा और नीचे वाले दाएं हाथ में त्रिशूल है। इनके ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाले बाएं हाथ में वरमुद्रा है। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। इन्होंने पार्वती के रूप में श्री शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी।

इस कठोर तपस्या के कारण महागौरी का शरीर काला पड़ गया। इनकी तपस्या से प्रसन्न और संतुष्ट होकर जब भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा जी के पवित्र जल द्वारा मल-मलकर धोया तब वह विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान गौर हो उठा। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा। नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्य:फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते हैं। उसके पूर्व संचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। भविष्य मेंह्य पाप-संताप एवं दैन्य-दुख उसके पास नहीं आते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है।

महागौरी का ध्यान-स्मरण एवं पूजन-आराधन भक्तों के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी है। इनकी कृपा से उन्हें अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मन को अनन्य भाव से एकनिष्ठ करके मनुष्य को सदैव इनके ही पादारविंदों का ध्यान करना चाहिए। ये भक्तों के कष्ट अवश्य दूर करती हैं। इनकी उपासना से आर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। अतः इनके चरणों की शरण पाने के लिए हमें सर्वाधिक प्रयत्न करना चाहिए। ये मनुष्य की वृत्तियों को सत की ओर प्रेरित करके असत् का विनाश करती हैं।

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