अतिरिक्त >> बड़ी बेगम बड़ी बेगमआचार्य चतुरसेन
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बड़ी बेगम...
उसका आधा राज्य छिन चुका था और बाकी आधा बर्बाद किया जा चुका था। अब आवश्यकता इस बात की थी कि उसके राज्य के तमाम बन्दरगाह और समुद्र-तट अंग्रेज़ी सरकार के हाथ आ जाएँ। लार्ड वेलेजली ने जब वह माँग की तो फिर एक प्रबल युद्ध का वातावरण बन गया। अंग्रेज़ी सेनाओं ने एकाएक टीपू को घेर लिया। निजाम की पूरी मदद उन्हें प्राप्त थी और सुलतान के प्राय: सभी दरबारी फोड़ लिये गये थे। लगभग 30 हज़ार सेना ने टीपू पर चढ़ायी की थी, पर नमकहराम सलाहकारों ने टीपू को बताया था कि वह सेना 4-5 हज़ार ही है।
पुर्निया जाति का ब्राह्मण था, वह सुलतान का मन्त्री और सेनापति था। सुलतान ने उसे पहले कुछ सेना देकर अंग्रेज़ों पर चढ़ायी करने को भेजा, परन्तु वह पहले ही से अंग्रेज़ी सेना से मिल चुका था। उसने युद्ध नहीं किया, सिर्फ राजधानी की ओर बढ़ाते हुए ले आया।
सुलतान ने यह सुना तो स्वयं सेना लेकर लड़ने का इरादा किया। पर सलाहकारों ने उसे फिर धोखा दिया और वे उसे भटकाकर दूसरी ओर ले गये। इधर जनरल होरेस एक गुप्त मार्ग से रंगपट्टनम तक पहुँच गये। जब सुलतान को इसका पता चला तो उसने आगे बढ़कर गुलशनाबाद के पास अंग्रेज़ी सेना की आ रोका।
खूब घमासान युद्ध हुआ। थोड़ी ही देर के युद्ध में अंग्रेज़ी सेना के छक्के छूट गये। ठीक अवसर पाकर सुलतान ने सेनापति कमरुद्दीन को सवारों सहित आगे बढ़कर युद्ध करने की आज्ञा दी। परन्तु शोक, वह भी अंग्रेज़ी सेना से मिल चुका था। वह थोड़ा आगे बढ़ा और फिर उलटकर सुलतान की सेना पर ही टूट पड़ा। खेल अंग्रेज़ों के हाथ रहा।
इसी समय टीपू को खबर लगी की बम्बई से अंग्रेज़ों की एक सेना सीधी रंगपट्टनम की ओर बढ़ी चली आ रही है। सुलतान कुछ अफसरों को वहाँ छोड़ रंगपट्टनम की रक्षा के लिए चला। अभी तक भी उसे पुर्निया और कमरुद्दीन की नमकहरामी का पता न था ।
अंग्रेज़ी सेना ने रंगपट्टनम पहुँचते ही नगर और किले पर आग बरसाना प्रारम्भ कर दिया। सुलतान ने दोनों नमकहराम सेनापतियों के अधीन सेना किले के बाहर भेज दी। वह सेना अंग्रेज़ी सेना के दायें-बायें चक्कर लगाती रही। सिपाही लड़ने की आज्ञा माँगते थे पर सेनापति आज्ञा नहीं देते थे। सैनिक निराश हो हाथ मल रहे थे। सरदार भीतर ही भीतर सुलतान को नष्ट करने का सरंजाम कर रहे थे। उसका प्रधान सलाहकार दीवान मीर सादिक उसे क्षण-क्षण में गुमराह कर रहा था। यहाँ तक कि किले की दीवारों के भंग होने तक की खबर उसे नहीं दी गयी। पुर्निया और कमरुद्दीन ने उसके चारों ओर नमकहराम मुखबिर और सलाहकार पैदा कर रखे थे। अन्त में उसे इन नमकहरामों के विश्वासघात का पता लग गया। उसने अपने हाथ से विश्वासघातियों की सूची बनायी और उसे मीर मुईनुद्दीन के हाथ में देकर कहा कि आज ही रात में इन नमकहरामों को कत्ल कर देना। परन्तु दुर्भाग्य की बात देखिए कि जब मुईनुद्दीन उस सूची को खोलकर पढ़ रहा था, तो महल के एक फर्राश ने उसके पीछे से मीर सादिक का नाम सबसे ऊपर पढ़ लिया और उसे खबर भी दे दी-जिससे वे सब सावधान हो गये।
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