लोगों की राय

अतिरिक्त >> बड़ी बेगम

बड़ी बेगम

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9021
आईएसबीएन :9789350643334

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

174 पाठक हैं

बड़ी बेगम...

घर की जमा-पूँजी चादर पर आ पड़ी। ठाकुर ने चादर समेटी। पुत्र का हाथ पकड़ा और घर के बाहर आया।

वह धीरे-धीरे पड़ोसी ब्राह्मण के पास पहुंचा। जर-माल उसे देकर कहा, "बालक आपके अधीन है, इसे आप पालिएगा!” ब्राह्मण ने आँखों में आँसू भरकर बालक का हाथ पकड़ लिया। ठाकुर ने पालागन की और वह फिर अपने घर में घुस गया। उसकी आँखों में आँसू न थे-आग थी! हाथ में थी वही नंगी तलवार। उसने ठकुरानी को पुकारा, "ठकुरानी!"

ठकुरानी सामने आकर चुपचाप पति के सामने खड़ी हो गयी।

ठाकुर ने कहा, "बैठ जाओ!”

वह बैठ गयी।

"डरती हो ठकुरानी?”

"नहीं स्वामी!”

"तो चलो तुम पहले, मैं कुछ ठहरकर आता हूँ।” तलवार हवा में घूमी। ठकुरानी का सिर धरती पर लोट रहा था।

एक-एक करके पाँचों स्त्रियों के सिर काटकर ठाकुर ने छप्पर में आग लगा दी। बैसाख का सूखा फूस भभककर जल उठा। धुआँ आकाश में छा गया।

उसके कानों ने सुना-सेना आ रही है। बाजे की अस्पष्ट ध्वनि कान में पड़ते ही वह बाहर आकर बैठ गया।

गाँव-भर नंगी तलवारें ले उसके कन्धे से कन्धा भिड़ाये खड़ा था। देखते ही देखते दल-बादल की भाँति शाही सेना ने गाँव पर हल्ला बोल दिया। मुण्ड पर मुण्ड गिरने लगे। रक्त की नदी बह गयी। गली लाशों से पट गयी। सारे गाँव को उजाड़-जलाकर, खाक करके शाही सेना रक्त की निशानी पीछे छोड़ती हुई चली गयी। गाँव में एक भी जीवित मर्द न बचा था।

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai