लोगों की राय

अतिरिक्त >> बड़ी बेगम

बड़ी बेगम

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9021
आईएसबीएन :9789350643334

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

174 पाठक हैं

बड़ी बेगम...

सुबह दस बजे से पाँच बजे तक अफसरों की घुड़कियाँ और जूतियाँ खाकर बेमुल्क-नवाब घर में घुसे। आते ही बेगम साहिबा की तलाश में इधर-उधर आँखें घुमाने लगे। वह उस वक्त कोप-भवन में थीं। बुढ़िया अपनी चारपाई पर पड़ी धड़कते हुए कलेजे से यह प्रतीक्षा कर रही थी कि बेटा तबीयत का हाल पूछेगा और तकलीफ़ देखकर कुछ सहानुभूति दिखाएगा। इससे इतना लाभ तो जरूर होगा कि बहू कि शिकायत का ज़्यादा असर न होगा। लेकिन पुत्र महाशय ने छाता खूटी पर टाँगते हुए पूछा, "वह कहाँ है?”

बुढ़िया ठंडी पड़ गयी। उसने मन्द स्वर में कहा, "अपने कमरे में होगी।”

यह सुनकर बाबू साहब ने घबराकर कहा, "क्यों, तबीयत तो उसकी अच्छी है?”

वह माता के उत्तर को सुनने के लिए खड़े न रहे। झपटते हुए अपनी पत्नी के शयनागार में घुस आये, जो मुँह छिपाये रजाई में लिपटी पड़ी थी। आपने जाते ही नब्ज देखी, बाल संवारे और तबीयत का हाल पूछा। लेकिन मलिका ने जवाब नहीं दिया। वह सिर्फ करवट बदलकर लेट गयी। अब नवाब-बेमुल्क की समझ में आया कि यह रोग नहीं है, मान है! भों में बल डालकर बोले, "हुआ क्या है?"

महारानी ने मुँह फुलाकर कहा, "चलो हटो, मेरा सर न खाओ मुझे पड़ी रहने दो। मुझे मर जाने दो!”

एक सांस में इतनी बातें सुनकर नवाब-बेमुल्क के माथे पर पसीना आ गया। भला आप ही ख्याल फरमाइये कि जो आदमी उसे ज़रा पड़ी भी नहीं रहने दे

सकता, वह उसे मरने कैसे दे सकता है! उन्होंने खुशामद के स्वर में कहा, "आखिर बात तो मालूम हो कि हुआ क्या?”

बेगम साहिबा ने नकियाकर कहा, "कुछ बात भी है? यों ही मेरी तबीयत पूरी खाने को चल गयी थी, सो बनाने की कह दिया था। और दिन तो परांठे भी बन जाते थे, मगर आज जिद्द बाँधकर दाल-भात ही बनाया। इस घर में मेरी ज़रा भी बात नहीं चलती! अजी, मैं तो मोल खरीदी हुई बांदी हूँ। मेरी तबीयत ही क्या, और मेरा जी ही क्या? माँ-बाप ने मुझे हाँक दिया, सो मेरी तकदीर खुल गयी, जो इस घर में आयी। गहने-कपड़े सब भांड़ में गये, एक बड़े टुकड़े के लिए ऐसा तरसना पड़ता है।” इसके बाद सुबकियों के बढ़ जाने से डायलाग बन्द हो गया, सिर्फ ऐकिंटग रह गयी। वह दोनों हाथों से मुँह छिपाकर धूमधाम से रोने लगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai