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बड़ी बेगम

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9021
आईएसबीएन :9789350643334

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बड़ी बेगम...

 

दवाई के दाम

नौ बज चुके थे। मैं दवाखाना बन्द करके भीतर जाने ही वाला था। कम्पाउण्डर लोग चले गये थे। सिर्फ मेरे कमरे में रोशनी हो रही थी। इसी समय एक व्यक्ति आकर सामने खड़ा हो गया। मैंने कागज़ पर से सिर उठाकर देखा-कोई 55 वर्ष का अधेड़ आदमी था। शरीर से मोटा-ताजा, टसर का मैला और भद्दा कोट पहन रहा था। सिर पर मारवाड़ी पगड़ी थी। बगल में दुपट्टा था। मैंने कहा, "आइए,” और आदर से कुर्सी पर बिठाकर आने का कारण पूछा।

उसने बड़े ही नम्र शब्दों में कहा, "महाराज! मेरा आपसे परिचय नहीं, और न आप मुझे जानते हैं। मैं....वंश का आदमी हूँ। श्रीमान् रायबहादुर सेठ मेरे बड़े भाई होते हैं और बैरिस्टर...साहब मेरे भतीजे हैं। सान्ताक्रुज में मेरे अपने दो बंगले हैं। पाँच सौ माहवार किराया आता है। मैं कपड़े की दलाली करता हूँ। हज़ार-पन्द्रह सी पीट लेता हूँ-भगवान की दया से सब मौज़ है।”

मैंने सोचा, वैद्य के द्वार पर इतने आत्मपरिचय की क्या जरूरत है। अन्त में उसकी वक्तृता का प्रवाह रुकते ही मैंने कहा, "मुझे आप जैसे प्रतिष्ठित घराने के सज्जन से मिलकर बहुत आनन्द हुआ है। रायबहादुर साहब से मेरा बखूबी परिचय है, वे मेरे मित्र हैं। बड़े आनन्द की बात है कि आप ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति के भाई हैं-जिसकी सन्तान मारवाड़ी समाज में भूषण है। मैं उन सबसे परिचित हूँ।”

बूढ़े ने कहा, "जी हाँ, भाई साहब तो जयपुर ही मैं हैं। हज़ारों आदमी उनके हुक्म में हैं। उनके लड़के-बाले कलकत्ते में बैरिस्टर हो गये हैं।”

मैंने कहा, "खेर, अब आप यह फरमाइए कि आज इधर आने का कष्ट कैसे किया? क्या मेरे योग्य कुछ काम है?”

उसने कहा, "इसीलिए तो आया हूँ। शहर में आपकी बड़ी धाक है। बड़ी शोभा है। आप बम्बई में नये आये हैं फिर भी आपका नाम बढ़ रहा है। नाम सुनकर ही मैं आया हूँ। पर महाराज, सिद्ध को साधक पुजवाता है। नयी जगह में कौन जानता है? आपकी विद्या और आपकी योग्यता कौन जानता है? आप यदि मुझसे दोस्ती करें, तो ऐसी-ऐसी जगह ले जाकर पुजवा दूँ कि जहाँ सोने के देर लगे हैं।”

इस बकवास को सुनकर मेरे मन में उसपर जो आदर-भाव हुआ था वह नष्ट हो गया। मैंने जरा हँसकर कहा, "आपकी इस कृपा के लिए धन्यवाद है। आप यदि मुझे सोने के ढेर पर बैठा देंगे तो बेशक मैं आपसे दोस्ती करूंगा लेकिन अभी तो आप कुछ अपने मतलब की बात फरमाइए। क्या आपने नयी शादी की है?”

सचमुच मैंने यही समझा कि बूढ़े ने नयी शादी की है, और दुलतियाँ खाकर आया है। ताकत की दवा चाहता है, पर कहते हुए झेंपता है, इसीसे पहले सब्ज-बाग दिखाता है।

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