लोगों की राय

अतिरिक्त >> बड़ी बेगम

बड़ी बेगम

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9021
आईएसबीएन :9789350643334

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

174 पाठक हैं

बड़ी बेगम...

अब सेठ साहब को गुस्सा आ गया; वह गुस्सा आया नौकर पर। "कहाँ है, वह सुअर का बच्चा? पाजी-गधा। मार डालूंगा, जान हलाल कर दूँगा। मेरे गुस्से को जानता नहीं? मैंने उसे स्टेशन पर जाने को कह दिया था, वह गया कहाँ?” इसके बाद उसने उसे पुकारा, पर वह वहाँ था ही नहीं इसके बाद उसने

मुझसे कहा, "साहब, ये बम्बई के नौकर बड़े भारी बदमाश हैं।”

मुझे भी क्रोध आ रहा था, पर मैंने उससे कहा, "खैर, आप अपने रोगियों, को बुलाइए, कहाँ हैं?”

रोगी आये-टेढ़े, तिरछे, बदरंग, काले-कलूटे बालक, पेट निकला हुआ, नाक बहती हुई, खारिश से सड़े हुए।

मैंने कहा, "यही आपके स्वर्गीय पुत्र के दस्तखत हैं?”

बुड्ढा मेरा मजाक समझा नहीं। वह मेरी त्योरियों के बल देख रहा था। उसने हाथ जोड़कर कहा, "गरीब-परवर, यही हैं दो पोती, एक पोता।”

मैंने कहा, "इतनी साधारण बात के लिए आपने मेरा आधा दिन नष्ट किया, इसके लिए तो आप दवा ले आते तो ठीक था। और भी कोई है या बस?”

बुड्ढे ने कहा, "इनकी माँ का भी यही हाल है!”

एक दुर्गंध का पुलिन्दा धीरे-धीरे सरककर मेरे पास आ बैठा। मैंने कुर्सी पीछे हटाकर कहा, "नाड़ी देखने की ज़रूरत नहीं कृपा कर दूर से ही अपनी तकलीफ बयान कर दें।"

उसने अपनी राम-कहानी गायी। किसी भाँति पिण्ड छुड़ा मैं उठ खड़ा हुआ। परन्तु अभी दो रोगी और थे, उनका रसोइया-जो एक मक्कार नाटे कद का लौंडा था। वह एक घृणास्पद हँसी हँसता हुआ मेरे पास आ बैठा। दूसरा और न जाने कौन था। सबके अन्त में सेठ ने भी मेरे आगे ठण्डा-सा हाथ बढ़ाकर कहा, "गुरु, ज़रा मेरी भी नाड़ी देखो।”

मैं तुनतुनाकर एकदम खड़ा हो गया। घर न हुआ, हस्पताल हुआ। मैंने कहा, "आप वहाँ आकर नाड़ी दिखाइये। अब दवा लेने आप चलते हैं, या किसी को भेजते हैं?"

"मैं चलता हूँ।” कहकर बुड्ढा घर में घुस गया। फीस की बुड्ढे से कोई बात ही तय नहीं हुई थी। उसने पूछा नहीं, मैंने कहा नहीं। प्रतिष्ठित व्यक्तियों से प्राय: ऐसा ही व्यवहार होता है। पर यह महाशय इतने प्रतिष्ठित हैं, यह किसे खबर थी?

थोड़ी देर में उस सड़े हुए छोकरे ने दो रुपये लाकर पीछे से मेरे कन्धे पर रख दिये। मैंने चौंककर कहा, "यह क्या है?”

उसने बांह से नाक पोंछकर कहा, "ये बाबा ने दिये हैं।” मैंने रुपये फेंकते हुए कहा, "ये बाबा के आड़े वक्त में काम आयेंगे, उन्हीं को दे आओ।”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai