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बड़ी बेगम

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9021
आईएसबीएन :9789350643334

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बड़ी बेगम...

"विरोध? पक्का नमकहराम है वह! वह तो पाकिस्तान का एजेण्ट है!”

"परन्तु अब मैं तुम्हें उसके अधीन लड़ने की राय नहीं दूँगा।”

"परन्तु आप जो कुछ कह रहे हैं, क्या सच है?”

"अरे सच? मैं कहता हूँ काश्मीर में जो कुछ हो रहा है, उसीकी योजना है! उसने पाकिस्तान को काश्मीर भेंट करने का वायदा किया है।”

"सर लाकहार्ट? नहीं-नहीं, जनरल, आप भूलते हैं!”

जनरल जोर से हँस पड़े। उन्होंने कहा, "मेरा एक-एक अक्षर सही है! देख लेना, नेहरू सरकार धोखा खायेगी! एक बार जब पंजाब की पश्चिमी सीमाएँ सुरक्षित हो जायें, तो फिर सम्पूर्ण हिन्दुस्तान पूर्ण सुरक्षित है। सिंगापुर और बर्मा में हमारे सामने जो कठिनाइयाँ थीं वे यहाँ नहीं हैं। यहाँ हमारा देशीय और जातीय संगठन है। हमारे साथ वे लाखों वीर हैं, जिनके कलेजे जले हुए हैं और जो सर्वस्व खो चुके हैं। पंजाब-निवासी लोहे के आदमी हैं और उन्हीं में हिन्दुस्तान की रक्षा करने की शक्ति है!”

मेजर ने चुपचाप हाथ बढ़ा दिया, जिसे जनरल ने बड़े जोश से पकड़ लिया। फिर कहा, "मैं आज ही दिल्ली जा रहा हूँ। तुम पूर्वी पंजाब की सीमा पर जाकर सैन्य-संगठन प्रारम्भ कर दी। जैसे भी होगा मैं अपने उद्देश्य को पूरा करूंगा!"

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