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चमत्कारिक तेल

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : निरोगी दुनिया प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :252
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9417
आईएसबीएन :9789385151071

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तेलों के सम्बन्ध में कुछ विशेष जानकारियां

 

आज विभिन्न प्रकार के तेलों की उपयोगिता एवं उनका क्या महत्व है, इसके बारे में न्यूनाधिक रूप से सभी जानते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य भी तेलों के प्रयोगों के बारे में जानकारी देना है। किसी भी प्रकार से तेलों का उपयोग करने से पूर्व उनके बारे में कुछ आवश्यक बातों के बारे में जानकारी का होना बहुत आवश्यक है। इससे किसी भी सम्भावित हानि से बचा जा सकता है और प्राप्त होने वाले परिणामों में वृद्धि भी की जा सकती है। यहां पर आपको तेलों के बारे में इसी प्रकार की जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है-

> जिस तेल में कई प्रकार के घटक होते हैं, वह सिद्ध तेल कहलाते हैं। इस प्रकार के तेलों का प्रयोग प्राय: औषधीय रूप में अधिक किया जाता है। इसके अन्तर्गत किसी एक तेल में विभिन्न वनौषधियां डालकर उन्हें तब तक पकाया जाता है जब तक कि उनका सारतत्व तेल में न आ जाये। बाद में तेल को छानकर काम में लिया जाता है। इस प्रकार के तेलों का मालिश आदि में अधिक प्रयोग किया जाता है।

> सिद्ध तेल पुराना होने पर अपनी उपयोगिता खो देता है। इसलिये जब भी आप किसी सिद्ध तेल का निर्माण करें तो एक साथ अधिक मात्रा में न करके केवल इतना ही करें कि उसका प्रयोग आप 10-15 दिन तक कर सकें। इसके बाद पुनः तेल सिद्ध किया जा सकता है।

> तेलों को सिद्ध करने से विभिन्न प्रकार के दोष जैसे कि चिकनाई गंध इत्यादि दूर होते हैं। इसलिये इनका प्रयोग करने पर यह शीघ्र एवं चमत्कारिक प्रभाव देते हैं।

> सामान्यतः तेलों के दो प्रकार होते हैं- तेज एवं सौम्य तेल। तेज तेल वह होता है जिसकी मालिश से खून तेज गति करता है। खून की रुकावट में ऐसे तेल अत्यन्त लाभकारी होते हैं। सौम्य तेल वह है जिसके उपयोग से अंग नरम हो जाते हैं।

> तेल स्निग्ध तथा गरम दो प्रकार के भी होते हैं।

> तेलों के द्वारा मालिश करने की भी एक विशेष विधि होती है। इस विधि के अनुसार शरीर के जिस हिस्से पर मालिश करनी हो, उसे पहले गरम पानी से हल्के-हल्के साफ करना चाहिये, फिर पोंछकर सुखा लें। इसके बाद हल्के हाथों से धीरे-धीरे मालिश करनी चाहिये।

> तेल को हाथ की हथेली में लेकर पीड़ित स्थान पर आहिस्ता-आहिस्ता मालिश करें। मालिश करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि तेल के मलने तथा बालों की एक ही दिशा हो अन्यथा पीड़ा होगी।

 > तेल की जितनी धीरे-धीरे मालिश की जाये, वह उतना ही शरीर में फैलता है और फिर उतना ही जल्दी उसका लाभ दृष्टिगोचर होता है।

> जोर से तेल मलने से घर्षण होकर उष्णता पैदा होती है, इसलिये पित्तदोषों पर कभी भी तेजी से तेल मालिश नहीं करना चाहिये। पित्त दोषों में तेल को केवल विशेष हिस्से पर लगाकर रखना चाहिये। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पित्त दोषों पर तेल लगाने के बाद उसे सेकना नहीं चाहिये।

> सामान्य चोट एवं सूजन की स्थिति में पीड़ित स्थान पर तेल मालिश के बाद सेका जाता है तो लाभ शीघ्र मिलता है किन्तु सेकने के पश्चात् किसी स्वच्छ सूखे कपड़े से उस स्थान का पानी सोख लेना चाहिये तथा गरम कपड़े को उस स्थान पर बांधकर रखना चाहिये।

> सेकने के लिये आटे अथवा नमक पाउडर का प्रयोग किया जाता है, इसमें भी नमक का सेक अधिक प्रभावी रहता है। नमक को गर्म करके एक सूती वस्त्र में डालकर ढीली पोटली बना लें। इसके पश्चात् धीरे-धीरे पीड़ित अंग का सेक करें। बहुत से लोग सूखी बालू रेत से भी सेक करते हैं।

> जो व्यक्ति तेल मालिश करता हो उसके हाथ नरम होने चाहिये। मालिश के बाद पीड़ित स्थान को ठण्डी हवा तथा पानी से बचा कर रखें। इसके लिये उस स्थान पर कोई पट्टी बांध दें अथवा सूती कपड़े से ढक दें। मालिश करने वाला व्यक्ति मालिश के तत्काल बाद अपने हाथों को ठण्डे पानी से नहीं धोये। कुछ समय रुक कर धोयें और धोने से पहले सूखे सूती कपड़े से हाथों को पौंछ लें।

> मिट्टी के तेल से किसी भी अन्य तेल को सिद्ध नहीं करें। मिट्टी का तेल बालों को सफेद करता है।

> तेल मालिश से अवयव हल्के हो जाते हैं व नसें नरम हो जाती हैं। इसलिये सप्ताह अथवा माह में एक बार शरीर की सर्वाग मालिश करवाना लाभप्रद रहता है।

> सभी तेलों को भली प्रकार से बंद शीशियों में धूप से बचाकर किसी अंधेरे अथवा छायादार स्थान पर सुरक्षित रखना चाहिये। तेलों का किसी भी प्रकार से प्रयोग करते समय उपरोक्त बातों पर ध्यान देने से अत्यधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। याद रखें कि तेल स्वास्थ्यरक्षक भी हैं और जीवनरक्षक भी हैं।

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    अनुक्रम

  1. जीवन का आधार हैं तेल
  2. तेल प्राप्त करने की विधियां
  3. सम्पीड़न विधि
  4. आसवन विधि
  5. साधारण विधि
  6. तेलों के सम्बन्ध में कुछ विशेष जानकारियां
  7. नारियल का तेल
  8. अखरोष्ट का तेल
  9. राई का तेल
  10. करंज का तेल
  11. सत्यानाशी का तेल
  12. तिल का तेल
  13. दालचीनी का तेल
  14. मूंगफली का तेल
  15. अरण्डी का तेल
  16. यूकेलिप्टस का तेल
  17. चमेली का तेल
  18. हल्दी का तेल
  19. कालीमिर्च का तेल
  20. चंदन का तेल
  21. नीम का तेल
  22. कपूर का तेल
  23. लौंग का तेल
  24. महुआ का तेल
  25. सुदाब का तेल
  26. जायफल का तेल
  27. अलसी का तेल
  28. सूरजमुखी का तेल
  29. बहेड़े का तेल
  30. मालकांगनी का तेल
  31. जैतून का तेल
  32. सरसों का तेल
  33. नींबू का तेल
  34. कपास का तेल
  35. इलायची का तेल
  36. रोशा घास (लेमन ग्रास) का तेल
  37. बादाम का तेल
  38. पीपरमिण्ट का तेल
  39. खस का तेल
  40. देवदारु का तेल
  41. तुवरक का तेल
  42. तारपीन का तेल
  43. पान का तेल
  44. शीतल चीनी का तेल
  45. केवड़े का तेल
  46. बिडंग का तेल
  47. नागकेशर का तेल
  48. सहजन का तेल
  49. काजू का तेल
  50. कलौंजी का तेल
  51. पोदीने का तेल
  52. निर्गुण्डी का तेल
  53. मुलैठी का तेल
  54. अगर का तेल
  55. बाकुची का तेल
  56. चिरौंजी का तेल
  57. कुसुम्भ का तेल
  58. गोरखमुण्डी का तेल
  59. अंगार तेल
  60. चंदनादि तेल
  61. प्रसारिणी तेल
  62. मरिचादि तेल
  63. भृंगराज तेल
  64. महाभृंगराज तेल
  65. नारायण तेल
  66. शतावरी तेल
  67. षडबिन्दु तेल
  68. लाक्षादि तेल
  69. विषगर्भ तेल

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