हास्य-व्यंग्य
|
नारद की चिन्तासुशील सिद्धार्थ
मूल्य: $ 22.95 |
|
फिट है बॉससतपाल
मूल्य: $ 15.95 |
|
ज्यों ज्यों बढ़े श्याम रंगप्रेम जनमेजय
मूल्य: $ 15.95 |
|
सम्मान फिक्सिंगगिरीश पंकज
मूल्य: $ 16.95 |
|
परम श्रद्धेय मैं खुदअनुज खरे
मूल्य: $ 19.95 |
|
शरद परिक्रमाशरद जोशी
मूल्य: $ 14.95
"परिक्रमा: शरद जोशी का पहला व्यंग्य-संग्रह, जिसमें व्यंग्यकार की तीखी निगाह और मध्यवर्गीय विडम्बनाओं की झलक मिलती है।" आगे... |
|
और...शरद जोशीशरद जोशी
मूल्य: $ 10.95
"Sharad Joshi : A prophetic satire that unveils the hollowness beneath political ideals and societal values." आगे... |
|
हाशिये परके डी सिंह
मूल्य: $ 7.5 वर्षा ऋतु के लगभग प्रारम्भ में ही श्रावण मास के दिनों में अचानक गेरुए वस्त्र धारण किये हुए छोटे, बड़े, मँझोले युवकगण पूरे प्रान्त में जगह-जगह उत्पन्न हो उठते हैं और आगे... |
|
राग मिलावट मालकौंसरवीन्द्र कालिया
मूल्य: $ 1.95 राजनीति में नहीं, साहित्य में भी छवि का विशेष महत्त्व स्वीकार किया गया है आगे... |
|
सर्वर डाउन हैयश मालवीय
मूल्य: $ 14.95 यह संकलन व्यंग्य लेखन की समृद्ध परंपरा में एक मील का पत्थर साबित होगा आगे... |
|
शेष अगले पृष्ठ परके डी सिंह
मूल्य: $ 6.95 यह किताब एक ऐसे लेखक की है जो लेखन की दुनिया का पेशेवर बाशिन्दा नहीं है आगे... |
|
छिछोरेबजी का रिजोल्यूशनपीयूष पांडे
मूल्य: $ 6.95 वास्तविक दुनिया में वर्चुअल दुनिया यानी आभासी दुनिया किस तरह से प्रवेश करती है, इस पुस्तक में बार बार दिखायी देता है आगे... |
|
नेकी कर, अखबार में डालआलोक पुराणिक
मूल्य: $ 6.95 कोई वक्त रहा होगा, जब नेकी दरिया में डाली जाती थी। कोई वक्त रहा होगा, जब साधु-संत प्रवचन करते थे आगे... |
|
तो अंग्रेज़ क्या बुरे थेरविन्द्र बड़गैयाँ
मूल्य: $ 2.95 ‘तो अंग्रेज क्या बुरे थे’ व्यंग्य-मिश्रित ललित गद्य का दिलचस्प उदाहरण है। आगे... |
|
व्हाइट हाउस में रामलीलाआलोक पुराणिक
मूल्य: $ 16.95
समसामयिक जीवन और समाज के विभिन्न पक्षों पर तीखी निगाह से दृष्टिपात करते ये व्यंग्य-लेख निश्चय ही पाठकों को लम्बे समय तक याद रहेंगे। आगे... |
|
बिहार पर मत हँसोगौतम सान्याल
मूल्य: $ 12.95 समग्रत: प्रस्तुत व्यंग्य पुस्तक विधा और विन्यास दोनों क्षेत्रों में एक उपलब्धि है। आगे... |