लेखक:
विष्णु प्रभाकर
जन्म : 21 जून, 1912
निधन : 11 अप्रैल 2009 अपने साहित्य में भारतीय वाग्मिता और अस्मिता को व्यंजित करने के लिए प्रसिद्ध श्री विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून, 1912 को मीरापुर, जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा पंजाब में हुई। उन्होंने सन् 1929 में चंदूलाल एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल, हिसार, से मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात् नौकरी करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से भूषण, प्राज्ञ, विशारद, प्रभाकर आदि की हिंदी-संस्कृत परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से ही बी.ए. भी किया। विष्णु प्रभाकरजी ने कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, निबंध, एकांकी, यात्रा-वृत्तांत आदि प्रमुख विद्याओं में लगभग सौ कृतियाँ हिंदी को दीं। उनकी ‘आवारा मसीहा’ सर्वाधिक चर्चित जीवनी है, जिस पर उन्हें ‘पाब्लो नेरूदा सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ सदृश्य अनेक देशी-विदेशी पुरस्कार मिल चुके हैं। प्रसिद्ध नाटक ‘सत्ता के आर-पार’ पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ भी मिला है तथा हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा, ‘श्लाका सम्मान’ भी। उन्हें उ.प्र. हिंदी संस्थान के गांधी पुरस्कार’ तथा ‘राजभाषा विभाग, बिहार के ‘डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। प्रभाकरजी आकाशवाणी, दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं तथा प्रकाशन संबंधी मीडिया के विविध क्षेत्रों में पर्याप्त लोकप्रिय रहे हैं। देश-विदेश की प्रचुर यात्राएँ करने वाले विष्णुजी संप्रति दिल्ली में विगत कई वर्षों से पूर्णकालिक मिसजीवी रचनाकार के रूप में साहित्य-साधनारत हैं। कहानी संग्रह :- इनकी कहानियों के संकलन को सुविधा के लिए आठ खंडों में विभाजित किया गया है और हर खंड का नाम इनकी एक कहानी के नाम पर रखा गया है। वे आठों कहानियाँ इस प्रकार हैं :- पहला खंड : मुरब्बी दूसरा खंड : आश्रिता तीसरा खंड : अभाव चौथा खंड : मेरा वतन पाँचवाँ खंड : एक और कुंती छठा खंड : धरती अब भी घूम रही है सातवाँ खंड : पुल टूटने से पहले आठवाँ खंड : जिंदगी एक रिहर्सल दस प्रतिनिधि कहानियाँ। एक आसमान के नीचे अधूरी कहानी कहानियाँ :- हीरे की पहचान, तपोवन की कहानियाँ, क्षमादान, दो मित्र, गजनन्दन लाल के कारनामे, मोती किसके, पाप का घड़ा, घमंड का फल, सुनो कहानी, कौन जीता कौन हारा, स्वराज्य की कहानी । उपन्यास : कोई तो, अर्धनारीश्वर, निशिकान्त, स्वप्नमयी, जीवनी : आवारा मसीहा (शरतचंद्र), अमर शहीद भगत सिंह, विष्णु प्रभाकर लघु जीवनियाँ : (स्वामी दयानन्द सरस्वती, बंकिमचन्द्र, सरदार वल्लभभाई पटेल, शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय, काका कालेलकर, शंकराचार्य, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, बाजीप्रभु देशपाण्डे, अमर शहीद भगतसिंह, गुरु नानक देव, कमाल पाशा, देवीश्री अहिल्याबाई होलकर, गोपबन्धु दास, गिजु भाई बधेका, हारूँ-अल-रशीद, हजरत उमर।) आत्मकथा : पंखहीन (प्रथम खंड), मुक्त गगन में (द्वितीय खंड), और पंछी उड़ गया (तृतीय खंड)। यात्रा-वृत्त : ज्योतिर्पुंज हिमालय, हँसते निर्झर दहकती भट्ठी, हमसफर मिलते रहे। नाटक : गान्धार की भिक्षुणी, सत्ता के आर पार। निबन्ध संग्रह : जन, समाज और संस्कृति। |
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क्षमादानविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 2.95
इसमें सात प्रमुख कहानियों का वर्णन किया गया है, बालपयोगी कहानियाँ..... आगे... |
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गजनन्दन लाल के कारनामेविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 2.95
प्रस्तुत है बालपयोगी कहानियाँ गजनन्दन लाल के कारनामे... आगे... |
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गान्धार की भिक्षुणीविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 1.95 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित नाटक आगे... |
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घमंड का फलविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 20.95
बालपयोगी कहानियाँ इसमें श्रेष्ठ 9 कहानियों का संग्रह है..... आगे... |
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चलता चला जाऊँगाविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 14.95 स्व. श्री विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित काव्य-संकलन... आगे... |
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तट के बंधनविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 14.95 नीलम बोली, ‘‘जीजी, नारी क्या विवाह के बिना कुछ नहीं है?’’ आगे... |
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तपोवन की कहानियाँविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 3.95
इसमें 9 प्रमुख ऋषियों की कहानियाँ हैं। आगे... |
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दो मित्रविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 4.95
बालपयोगी कहानियाँ..... आगे... |
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निशिकान्तविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 4.95 इस कहानी का काल स्वतंत्रता से पहले का है और पृष्ठभूमि उस समय की सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल की है। एक तरफ स्वतंत्रता संग्राम की समस्यायें हैं तो दूसरी तरफ आर्य समाज, सामाजिक और धार्मिक परिवर्तनों की। आगे... |
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निशिकान्तविष्णु प्रभाकर
मूल्य: $ 4.95 निशिकान्त का कथाक्षेत्र 1920 से 1939 तक फैला हुआ है। यह यथार्थ हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम का प्रखर संक्रान्ति काल रहा है। आगे... |