लोगों की राय

नई पुस्तकें >> देवव्रत

देवव्रत

त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :304
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16642
आईएसबीएन :978-1-61301-741-8

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

भीष्म पितामह के जीवन पर खण्ड-काव्य



राजन ने प्रथम दरश में ही,
मेरी कन्या की इच्छा की,
शायद विवाह-मंशा उससे,
राजन को शान्ति नहीं देती॥78॥

यदि आप पूछ लें राजन् से,
क्या उनकी चिन्ता इसी वजह?
तब तो आगे बातें होंगी-
नृप से, विवाह के बारे में॥79॥

यह सुनकर लौटा राजकुंवर,
सीधा वह गया पिता के ढिंग,
पूछा संकोच त्याग करके,
है पिता साफ बतलाएँ अब॥80॥

क्या हुई आपकी इच्छा है?-
करने की परिणय, उस धी से,
यदि हाँ में है जवाब भव का,
तो मैं प्रयास रत होऊँगा॥81॥

बोले राजन हे तनय! सुनो,
यद्यपि विवाह-इच्छा मेरी,
पर एक पुत्र के रहते फिर-
कैसे होगा दूसरा व्याह? 82॥

दूजा विवाह क्यों करूँ वत्स,
इच्छा न कोई सन्तान हेतु,
शायद वह क्षणिक वासना थी,
जो अब तक बांधे है मुझको॥83॥

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अनुक्रम

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book