जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर बसेरे से दूरहरिवंशराय बच्चन
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आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
केम्ब्रिज में हमारी आखिरी शाम आ गयी। बावा ने और मैंने सारी शाम घूमघूमकर केम्ब्रिज के प्राकृतिक सौन्दर्य पर आखिरी नज़रें डाली। मौसम ऐसा सुहाना तो कभी हुआ ही नहीं था, नदी, किनारों, फूल-पौधों, पेड़ों सब पर प्रसन्नता की आभा। हमारे जाने पर उसे उदास क्या होना था, न जाने कितने यहाँ आये और यहाँ से चले गये। कहीं हम भी तो प्रसन्न थे, अपने घर वापस लौटने की घड़ी आ जाने पर। कहीं हमारी भीतरी प्रसन्नता ही तो केम्ब्रिज नहीं प्रतिबिम्बित कर रहा था। अंग्रेज़ी निबन्धकार हैजलिट ने कहा है-The happiest part of the journey is the return. (यात्रा का सबसे सुखद अनुभव यात्रा से लौटने का है।)
केम्ब्रिज में हमारी आखिरी सुबह। हम उठकर तैयार हुए हैं, डिग के साथियों ने हमें नाश्ता करा दिया है, दस बजे हमें लन्दन के लिए ट्रेन पकड़नी है, बड़ा सामान एक दिन पहले टामस कुक के एजेन्टों द्वारा संभाल लिया गया है, अब तो हाथ में रहने वाला सामान साथ है, कुछ संगी-साथी मिलने आ गये हैं, मैं बड़े हल्के मूड में हूँ, सबको एक गीत सुनाता हूँ :
बाबुल मोरा केम्ब्रिज छूटो री जाये।
चार दोस्त मिल बक्सा उतारें
हेन-हफ छूटो री जाये! बाबुल मोरा...
सेंट कैथ पर्वत भया, जीसस ग्रीन आकास,
जा गोरी घर आपने, मैं चला तेज के पास।
बाबुल मोरा केम्ब्रिज छूटो री जाये।
कमरे में हँसी के फौआरे छूट जाते हैं।
पर यह हल्का मूड बहुत देर नहीं रह पाता।
डिग से निकलकर बस स्टैण्ड तक जाने के लिए सेंट कैथरीन्स कॉलेज के सामने से होकर जाना पड़ता था।
कॉलेज के सामने पहुँचा हूँ तो मेरा पाँव ठिठक गया है। मि० हेन कॉलेज के लॉन पर टहल रहे थे, मुझे देखकर बाहर आ गये हैं, कहते हैं-
I knew you would like to have a look at your college before leaving Cambridge. (मुझे मालूम था कि केम्ब्रिज छोड़ने के पहले तुम अपने कॉलेज को एक नज़र देखना चाहोगे।)
मेरी आँख सेंट कैथरीन्स कॉलेज के लोहे के फाटक पर लगे सुनहले पहिये पर टिक जाती है। सेंट कैथरीन पुराकाल में एक साध्वी थी जिसे रोमनों ने लोहे के पहिये के नीचे कुचल-कुचलकर मरणान्तक यातनाएँ दी थी; बाद को यही पहिया सेंट कैथरीन की अदम्य आस्था का प्रतीक हुआ, जैसे क्रॉस क्राइस्ट का। जब उसके नाम पर इस कॉलेज की स्थापना हुई, तब पहिया कॉलेज का विशेष चिह्न (Emblem) बनाया गया। केम्ब्रिज में जब-जब मुझे मानसिक यातनाओं से गुज़रना पड़ा था, यह पहिया मुझे याद आया था। मैं उस कॉलेज का सदस्य हूँ जिसकी संरक्षिका (Patron Saint) सेंट कैथरीन है। मुझे उसके धैर्य, उसकी आस्था से बल संचय करना चाहिए। नियति ने यों ही नहीं, किसी ध्येय से मुझे सेंट कैथरीन्स का सदस्य बनाया है। अगर मैं आज जीवन के पहिये के नीचे हूँ तो क्या शिकायत करूँ, मुझसे बहुत बड़े, बहुत निर्दोष, बहुत पावन जीवन के पहिये के नीचे आ चुके हैं और उन्होंने जो वेदना झेली है, उसे देखकर बहुतों को अपनी वेदना झेलना सहज हुआ है।
मेरे भीतर किसी ने कहा कि इस पहिये से जो प्रेरणा तुम लेते रहे हो, उसके लिए तुम्हें सेंट कैथरीन को धन्यवाद दिये बिना केम्ब्रिज से नहीं जाना चाहिए।
एक क्षण के लिए मैं पहिये के सामने नतमस्तक हो गया।
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