लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर

बसेरे से दूर

हरिवंशराय बच्चन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 665
आईएसबीएन :9788170282853

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

201 पाठक हैं

आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।


डबलिन की थियोसोफिकल सोसाइटी का मुझे कुछ अता-पता न मिला। किसी ने मुझे बताया, डबलिन की आग और बमबारी में बहुत-सी इमारतें नष्ट हो गयी थीं, शायद थियोसोफिकल सोसायटी की इमारत भी उन्हीं में हो-प्रसंगवश बता दूं कि संसार में सबसे पहली हवाई बमबारी सहने वाली डबलिन की ही धरती थी।

ईट्स-सम्बन्धी कुछ कागद-पत्र मुझे डबलिन के नेशनल म्यूजियम में मिले, पर वे मेरे लिए अधिक उपयोगी न थे। ईट्स को लिखे गये टैगोर के कुछ पत्र भी वहाँ सुरक्षित थे और एक बार उन्हें देखकर मेरे मन में यह लोभ समाया कि इन्हें नकल करके ले जाऊँ तो 'विश्व भारती' में इनका बड़ा स्वागत होगा। कुछ पत्र मैंने नकल भी किये, फिर किसी ने मुझसे कहा कि ये पत्र दुर्लभ नहीं, शायद प्रकाशित भी हो चुके हैं, टैगोर अपने महत्त्वपूर्ण पत्रों को भेजने के पहले उनकी प्रतिलिपि अपने पास रख लेते थे। प्रतिभा अपने महत्त्व के प्रति कितनी सचेत होती है और अपनी कृति को सुरक्षित रखने के लिए कितना श्रम करती है ! मैं प्रतिभा को अपने महत्त्व के प्रति लापरवाह पाऊँ तो निश्चय मैं उसे अधिक आदर दूं।

ईट्स के पुस्तकालय के बाद मुझे सबसे अधिक उपयोगी सामग्री डबलिन युनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज में मिली। वहाँ के अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष प्रो० व्हाइट को हेन ने मेरे बारे में पत्र लिख दिया था। पर वे छुट्टी पर जा रहे थे और मेरी सहायता करने का काम अपने एक सहयोगी को सौंप गये थे। उनकी सहायता से मुझे 'डबलिन युनिवर्सिटी रिव्यू' की पूरी-की-पूरी फाइल मिल गयी, केम्ब्रिज की लाइब्रेरी में केवल कुछ अंक उपलब्ध थे। इसमें ईट्स की कविताएँ सबसे पहले प्रकाशित हुई थीं। कइयों को तो ईट्स ने बाद में अपनी कृतियों में सम्मिलित ही न किया। साधारण पाठक के लिए न हों, पर शोधार्थी के लिए ये रचनाएँ बड़े महत्त्व की हैं। कवि की नवीनतम रचनाओं से भले ही इस बात का पता लगे कि उसने अपनी कला में कितना ऊँचा स्थान प्राप्त किया है, लेकिन यह उसकी पहली और प्रारम्भिक रचनाएँ ही बतायेंगी कि कवि ने कहाँ से चलकर और किन साधनाओं द्वारा वह उच्चता प्राप्त की है। फल का पूरा महत्त्व तभी समझा जा सकेगा, जब बीज के महत्त्व को समझ लिया जाये। 'डबलिन युनिवर्सिटी रिव्यू' से जो सामग्री मुझे मिली थी, उसके प्रकाश में मुझे अपने प्रारम्भिक अध्यायों को फिर से लिखना पड़ा।

ट्रिनिटी कॉलेज के पुस्तकालय में दो और अद्भुत वस्तुएँ देखने की याद मुझे बनी है, हालाँकि मेरे शोध-कार्य से उनका कोई सम्बन्ध नहीं था-एक थी-'बुक आफ केल्स' और दूसरी थी 'बार्कले की टेबिल'।

'बुक आफ केल्स' एक मज़बूत शीशे के केस में रखी बाइबिल की सचित्र प्राचीनतम पाण्डुलिपि है। कहते हैं, यह छठी शताब्दी में सेंट कोल्बा के केल्स स्थित मठ में सन्तों द्वारा तैयार की गयी थी। इसके चित्रों में रंग-रेखाओं की जो ज्यामिति कलाकारी दिखाई गयी है, उसके बारे में यही कहा जाता है-'न भूतो न भविष्यति'। इस पाण्डुलिपि की जिल्द सोने के मोटे पत्र से मढ़ी गयी थी, जिसमें बहुमूल्य हीरे-जवाहरात जड़े थे। दसर्वी शताब्दी में मठ पर आक्रमण हुआ और यह बहुमूल्य पाण्डुलिपि हमलावरों के हाथ लगी, फिर इसे चोर उठा ले गये और उन्होंने इसके सोने के पत्र उधेड़े, उनके हीरे-जवाहरात उखाड़े। फिर यह कई अनाड़ी हाथों में पड़ती मध्ययुग में इंग्लैण्ड के राजा हेनरी अष्टम के पास पहुँची, 1661 में उसके बचे-खुचे 339 पन्ने डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज के अधिकार में आये और तब से आज तक उसी के पास हैं। इसके किसी पन्ने का चित्रांकन दूसरे पन्ने की तरह नहीं है। नियमपूर्वक इसका एक पन्ना प्रतिदिन उलटा जाता है और फिर शीशे का केस चौबीस घण्टों के लिए बन्द कर दिया जाता है। आयरनिवासी सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन इसे देखने जाते हैं और इसे अपनी सबसे पवित्र और सबसे मूल्यवान सम्पत्ति समझते हैं। बहुतों को आश्चर्य हो सकता है कि ईट्स ने 'बुक आफ केल्स' पर कुछ नहीं लिखा। सच्चाई तो यह है, कला के सामने कला उसकी प्रतिद्वन्द्विता में नहीं खड़ी होती। अजंता, एलोरा पर कविता की एलोरा, अजंता तक्षित चित्रित हुई? कोणार्क, ताजमहल पर काव्य का कोणार्क, ताजमहल खड़ा हुआ? कविता पर कविता क्या लिखी जायेगी! लिखी जायेगी तो उससे बहुत-बहुत फीकी होगी। 'बुक आफ केल्स' का हर पृष्ठ कविता है, कला है, साधना है, पूजा है, आत्मसमर्पण है-कलाकार सन्तों ने इस पर कहीं भी अपना नाम नहीं लिखा. पर इसके किसी पृष्ठ पर एक नाम लिखा है। किसका? क्वीन विक्टोरिया का। कहते हैं, जब क्वीन विक्टोरिया आयरलैण्ड की राजसी यात्रा पर आयी थीं, तब उन्होंने उस पर अपने हस्ताक्षर कर दिये थे। 'बुक आफ केल्स' का यह एकमात्र कलंक है-'केहि न राजमद दीन्ह कलंकू'। हम अजंता, एलोरा के चित्रकारों-तक्षकों का नाम जानते हैं?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book