जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर बसेरे से दूरहरिवंशराय बच्चन
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आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
ट्रेन में ज़्यादा भीड़ नहीं, स्टेशन पर कोई चालीस-पचास आदमी उतरे होंगे, इससे ज़्यादा लोग तो हमारे छोटे-छोटे गाँवों के स्टेशनों पर उतरते-चढ़ते हैं। स्लाइगो टर्मिनस है, वहाँ जाते हैं या तो सैलानी या मछली के व्यापार से सम्बद्ध लोग। स्लाइगो के समुद्री तटों पर जो मछलियाँ मिलती हैं, उनकी आयरलैण्ड भर में माँग है, स्टेशन की मत्स्य-गन्ध ही यह बता देती है। ईट्स ने यहाँ के मछली-मछुआरों को अपनी कविता में कितना उठाया है, यहाँ तक कि कवि को भी मछली के रूप में देखा है-
Shakespearean fish swam the sea far away from land;
Romantic fish swam in nets coming to the hand;
What are all those fish that lie gasping on the strand!
(शेक्सपियरी मछली तट से दूर समुद्र में तैरी;
रूमानी मछली तट के इतने निकट तैरी कि जाल में आ फँसी;
ये कैसी मछलियाँ हैं जो तट पर पड़ी तड़फड़ा रही हैं!)
अंग्रेज़ी के आधुनिक कवियों को तीसरी पंक्ति की कटिया अपने मुँह में पाकर नाराज़ न होना चाहिए। हिन्दी के आधुनिक कवि, 'अब के कवि खद्योत सम जहँतहँ करहिं प्रकास' की कटूक्ति बहुत पहले से सहते आये हैं। खैर, खूबी कवि को गिराने में नहीं, मछली को उठाने में थी, पर यहाँ कम-से-कम हमें लज्जित होने की ज़रूरत नहीं, हम भगवान् को भी मछली के रूप में देख चुके हैं।
डबलिन से स्लाइगो आकर मैंने ऐसा ही अनुभव किया जैसे लन्दन से केम्ब्रिज आकर किया था-कुल जमा आबादी यहाँ की 14,000 और गिनती की तीन ऊँची इमारतें-यानी स्लाइगो टाउन हॉल, स्लाइगो एबी और स्लाइगो कैथीड्रलके साये में सारा शहर या कस्बा।
ठहरा मैं लेक आइल गेस्ट हाउस में जो स्टीफेन स्ट्रीट और माल रोड के नुक्कड़ पर था, सस्ती और सुविधाजनक जगह। श्रीमती ईट्स यहीं ठहरती थीं। उन्होंने मुझे बताया था, वे हर वर्ष ईट्स के मृत्यु-दिवस पर ड्रमक्लिफ जाती हैं और उनकी समाधि पर माल्यार्पण करती हैं। हम लोग जन्म-जयन्ती मनाते हैं, पाश्चात्य मृत्यु-दिवस। उनका कहना है कि जन्म से जो जीवन आरम्भ होता है, वह मृत्यु पर समाप्त हो जाता है, पर मृत्यु से जो जीवन आरम्भ होता है, वह अनन्त होता है। अपना-अपना दृष्टिकोण।
जिस दिन पहँचा. व्यवस्थित होते-होते शाम हो गयी। दसरे दिन सवेरे गेस्ट हाउस में पूछने पर पता लगा कि यहाँ गाइड तो बस जब-तब टूरिस्ट बसों के साथ आते हैं, जो डबलिन से आती है, लेकिन यहाँ का हर आदमी गाइड है। आप किसी से पूछे, निराश नहीं होंगे।
बर्टी ऐण्डरसन को यहाँ कौन नहीं जानता? -'That old man young or young man old' (जिसे बूढ़ा-जवान भी कहा जा सकता है और जवान-बूढ़ा भी) शहर से कुछ दूरी पर रहते थे। मौसम सुहाना था, पैदल ही चलकर उनके घर पहुँच गया। गाल्फ खेलकर लौटे थे, प्लसफोर में, कद से मँझोले, शरीर से कुछ स्थूल, पर हर अंग अनुशासन में, जैसे कभी फौज में रहे हों और बदन तब की कवायद-कमाई अब तक खा रहा हो।
मैं अप्रत्याशित नहीं पहुँच गया था।
हेन का पत्र उन्हें मेरे बारे में मिल चुका था।
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