जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर बसेरे से दूरहरिवंशराय बच्चन
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आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
सड़क के दूसरी ओर ड्रमक्लिफ गिरजा है-सामने कुछ दूरी पर कब्रों का सिलसिला है। ईट्स की कब्र को कोई विशिष्टता नहीं दी गयी। कई कब्रों पर भटकने के बाद उनकी कब्र पर पहुँचा। कोई ऊँचाई भी उसे नहीं दी गयी, भूमि से समतल. शरीर की लम्बाई-चौडाई की जमीन पक्की ईंटों से घेर दी गयी है, बीच की ज़मीन कच्ची है, सिर की ओर तीन फीट ऊँचे पत्थर पर ईट्स की पंक्तियाँ, जिनकी चर्चा पहले कर चुका हूँ, उनका नाम, जन्म और निधन तिथि। घेरे के अन्दर की कच्ची ज़मीन पर उन दिनों कम ऊँचाई के लाल फूलों के पौधे उग रहे थे-
उमर खयाम की रुबाइयों के अपने अनुवाद का एक पद याद आता है :
वही होते अति लाल गुलाब
जड़ें जिनकी कर पाती पान
गड़े अवनी पतियों का खून
देख यह आता मुझको ध्यान-
हाय, वन की हार, सुम्बुल बेलि
रही जो हिल-खिल आज समोद,
किसी सुमुखी की कुंतल राशि
पड़ी जो गिर उपवन की गोद।
फूल जो मैं लाया था, पाँवों की ओर रख दिये। ये फूल तो मुर्झ जायेंगे, पर मेरी श्रद्धा ताज़ी रहेगी। दूर बेन बुलबेन पहाड़ी पर नज़र जाती है-ईट्स का यश इन्हीं चट्टानों के समान अटल है।
ईट्स की समाधि के सामने खड़े होकर एक प्रार्थना करता हूँ-
तुम पर कुछ कहने जा रहा हूँ,
तुम को सही प्रस्तुत करूँ;
तुम को गलत न प्रस्तुत करूँ।
मुझे न और कुछ करना था, न और किसी से मिलना था। स्लाइगो की ओर जाने वाली बस आने में बहुत देर थी। पैदल ही वापस चल पड़ा। रास्ते में उधर जाती एक मोटर दिखी। मैंने अँगूठा दिखाया-यह संकेत है कि अगर मोटर में जगह हो तो मुझे भी बिठा लो। मोटर में दो नवयुवक जा रहे थे। उन्होंने मुझे बिठा लिया और लेक आइल गेस्ट हाउस पर छोड़ गये।
डबलिन के लिए गाड़ी सवेरे मिलती थी। एक दिन वहाँ और गुज़ारना था। बर्टी ऐन्डरसन के ही पास कुछ वक्त काट सकता था। शनिवार था, आशा नहीं थी कि वे रासेज़ प्वाइंट से आज स्लाइगो लौटे होंगे। शाम को फोन किया। घर पर ही थे, मुझे बुला लिया, 'मुझे मालूम था, आज आप मुझसे मिलना चाहेंगे, इसीलिए मैं रासेज़ प्वाइंट में नहीं रुका।'
वे इस बात से बड़े खुश हुए कि ड्रमक्लिफ तक मैं पैदल गया था। उन्होंने मुझे चाय पिलाई और देर शाम तक बातें करते रहे। ऐन्डरसन अपने छोटे भाई के साथ रहते थे, विधुर थे, सन्तान कोई न थी। छोटे भाई एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के व्यापार में थे। ऐन्डरसन भी उनका कुछ हाथ बँटाते थे। ट्रिनिटी के पुराने छात्र थे। किसी समय थियोसोफिकल आन्दोलन से सक्रिय रूप में सम्बद्ध थे। थियोसोफी की ओर प्रोटेस्टेंट नवयुवकों के झुकाव का उन्होंने एक नया कारण बताया। राष्ट्रीय आन्दोलन कैथलिक आन्दोलन था, प्रोटेस्टेंट अंग्रेज़ी सरकार के खिलाफ। जो प्रोटेस्टेंट राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ थे, उन्हें सन्देह की दृष्टि से देखा जाता था। उन्होंने प्रोटेस्टेंटिज़्म को भी तिलांजलि दे दी, थियोसोफिस्ट हो गये। प्रोटेस्टेंटों ने एक दूसरी तरह राष्ट्रीय आन्दोलन को सहायता पहुँचाने की सोची-आयरलैण्ड का सांस्कृतिक पुनर्जागरण लाकर। डा० हाइड इन लोगों के नेता थे। ईट्स, लेडी ग्रिगोरी, सिंज, जार्ज रसेल-सब उन्हीं से प्रेरणा लेकर साहित्यिक और सांस्कृतिक आन्दोलन में कूदे।
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