जीवनी/आत्मकथा >> बसेरे से दूर बसेरे से दूरहरिवंशराय बच्चन
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आत्म-चित्रण का तीसरा खंड, ‘बसेरे से दूर’। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
मैंने कहीं पढ़ा था, आयरलैण्ड का दूसरा नाम अतिथि-सत्कार (Hospitality) है, उसका यहाँ सद्भावनापूर्ण सबूत मिला।
दूसरे दिन मैं केम्ब्रिज के लिए रवाना हो गया।
आयरलैण्ड. से मैं बहुत कुछ लेकर लौटा।
डेढ़ महीने बाद केम्ब्रिज लौटा हूँ। मौसम पर ध्यान जाता है। इंग्लैण्ड में रहते-रहते मौसम के प्रति अधिक सचेत हो गया हूँ। यहाँ के आदमी की आँख तो हर समय मौसम पर रहती है। हर अभिवादन के साथ मौसम याद किया जाता हैगुड मार्निंग, गुड ईवनिंग चाहे बैड मार्निंग बैड ईवनिंग ही क्यों न हो। कभी-कभी होती ही है। खैर, पतझड़ अब पक गया है, पेड़ों के पत्ते पीले पड़ गये हैं और टूटटूटकर गिरने लगे हैं, नवम्बर तक डालें नंगी हो जायेंगी, दिसम्बर से तो उन पर बरफ जमने लगेगी, दिन छोटे होने लगे हैं। और सब तो केम्ब्रिज में वैसा ही है, जैसे पहले था।
समय लेकर मैंने मि० हेन को बता दिया, जो मैंने आयरलैण्ड में देखा, सुना, किया था।
बोले, 'तुमने आयरलैण्ड-यात्रा का अच्छा उपयोग किया है, अब थियोसोफी के प्रभाव में, जैसी कि तुम्हारी स्थापना है, ईट्स के ओकल्ट-दर्शन पर अपना प्रबन्ध लिख डालो। यह काम सितम्बर के अन्त या अक्टूबर के मध्य तक हो जाना चाहिए। दो और छोटे अध्याय तैयार करने होंगे, एक भूमिका के रूप में, एक उपसंहार के रूप में। उसके बाद निर्देशन समाप्त। तुम अपने शोध-प्रबन्ध को अन्तिम रूप दो। इस काम में प्रायः छ: महीने लगते हैं। तुमने कहा था कि तुम 24 महीने से अधिक यहाँ नहीं रुक सकोगे। तुमने '52 के ईस्टर टर्म, यानी अप्रैल से काम शुरू किया था, '54 के लेट टर्म पर, यानी मार्च के अन्त तक तुम छह टर्म पूरे कर लोगे। उसके बाद तुम्हारे लिए दो रास्ते खुले हैं।
'अगर मार्च के अन्त में तुम्हें स्वदेश लौट जाना है, तो तुम वहाँ से भी, यथा सुविधा, अपनी थीसिस प्रस्तुत कर सकते हो, साल-छह महीने बाद भी। अगर परीक्षक तुम्हारी थीसिस से सन्तुष्ट हुए तो वे तुम्हें मौखिक परीक्षा से छूट भी दे सकते हैं। किसी कारण कुछ संशोधन करने का सुझाव उनको देना पड़ा तो तुम वहीं से संशोधित रूप भी भेज सकते हो।
'अगर तुम दो-ढाई महीने और केम्ब्रिज में रुक सको तो मैं दूसरा रास्ता बताऊँ। मैंने युनिवर्सिटी कैलेण्डर देख लिया है। व्यक्तिगत रूप से मैं दूसरे रास्ते को तरजीह दूंगा, पर तुम अपनी सुविधा देख लो। तुम मार्च के अन्त तक अपनी थीसिस को अन्तिम रूप दे दो। एक महीने टाइपिंग, प्रूफ रीडिंग-थीसिस में टाइपिंग की कोई गलती नहीं रहनी चाहिए, इससे परीक्षक चिढ़ जाता है और शोधार्थी को लापरवाह समझता है-जिल्दबंदी में लगेंगे। अप्रैल के अन्तिम सप्ताह में तम अपनी थीसिस यी प्रस्तत कर दो। परीक्षक प्रायः एक महीना लेते हैं। मई के अन्तिम सप्ताह में तुम्हारा 'वाइवा' हो जायेगा। और दोनों परीक्षक अलग-अलग और एक साथ अपनी रिपोर्ट दे चुके होंगे। पहली जून को डिग्री कमेटी की मीटिंग है जिसमें अगले कान्वोकेशन पर दी जाने वाली सब डिग्रियों का फैसला होगा। कान्वोकेशन 12 जून को है। अगर तुम्हारी थीसिस स्वीकृत होती है तो तुम युनिवर्सिटी के कान्वोकेशन में डिग्री लेकर जाओ।'
(केम्ब्रिज में थीसिस को 'डिस्सटेंशन' और 'कान्वोकेशन' को 'कानग्रिगेशन' कहते हैं। मैं अपने पाठकों की सुविधा के लिए भारत में प्रचलित शब्दावली का प्रयोग कर रहा हूँ।)
मैंने हेन से कहा, 'तरजीह तो मैं भी दूसरे रास्ते को देना चाहूँगा; पहले काम तो पूरा करूँ।'
दूसरे रास्ते का निर्णय लेने से पहले मुझे बहुत-बहुत कुछ सोचना, करना था।
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