जैन साहित्य
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योगसार-प्राभृत (संस्कृत, हिन्दी)आचार्य अमितगति
मूल्य: $ 18.95
पाहुड-ग्रंथों की परम्परा में दसवीं शताब्दी के प्रसिद्ध आचार्य अमितगति ने एक श्रेष्ठ शास्त्र की रचना की, जिसका नाम 'योगसागर-प्राभृत' है. आगे... |
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वीरवर्धमानचरित (संस्कृत, हिन्दी)सकल कीर्ति
मूल्य: $ 16.95 भट्टारक सकलकीर्ति विरचित 'वीरवर्धमानचरित' पन्द्रवीं शती का संस्कृत काव्य-ग्रन्थ है. आगे... |
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षड्दर्शनसमुच्चय (संस्कृत, हिन्दी)हरिभद्र सूरि
मूल्य: $ 16.95
आचार्य हरिभद्र सूरि कृत 'षड्दर्शनसमुच्चय' छह प्राचीन भारतीय दर्शनों (बौद्ध, नैयायिक, सांख्य, जैन, वैशेषिक तथा जैमिनीय) का प्रामाणिक विवरण देने वाला प्राचीनतम उपलब्ध संग्रह है. आगे... |
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पंचास्तिकायसंग्रह (प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी)आचार्य कुन्दकुन्द
मूल्य: $ 14.95 जिनागम की आनुपूर्वी में आचार्य कुन्दकुन्द प्रस्थापक आचार्य के रूप में दो हज़ार वर्षों से निरन्तर विश्रुत रहे हैं. आगे... |
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पद्मपुराण (संस्कृत, हिन्दी) 2आचार्य रविषेण
मूल्य: $ 20.95 जैन परम्परा में मर्यादापुरुषोत्तम राम की मान्यता त्रेसठ शलाकापुरुषों में है. आगे... |
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पद्मपुराण (संस्कृत, हिन्दी) 3आचार्य रविषेण
मूल्य: $ 20.95 जैन परम्परा में मर्यादापुरुषोत्तम राम की मान्यता त्रेसठ शलाकापुरुषों में है. आगे... |
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग-4जिनेन्द्र वर्णी
मूल्य: $ 16.95 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश' शब्द-कोश तथा विश्व-कोशों की परम्परा में एक अपूर्व एवं विशिष्ट कृति है. आगे... |
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग-5 (शब्दानुक्रमणिका)जिनेन्द्र वर्णी
मूल्य: $ 16.95 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश' शब्द-कोश तथा विश्व-कोशों की परम्परा में एक अपूर्व एवं विशिष्ट कृति है. आगे... |
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रिट्ठणेमिचरिउ (यादवकाण्ड) (अपभ्रंश, हिन्दी)देवेन्द्र कुमार जैन
मूल्य: $ 1.95 स्वयंभूदेव (आठवीं शताब्दी) अपभ्रंश के आदिकवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इनकी दो प्रमुख रचनाएँ हैं--'पउमचरिउ' और 'रिट्ठाणेमीचरिउ' जो क्रमशः रामकथा तथा कृष्णकथापरक हैं. आगे... |
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पज्जुण्णचरिउ (प्रद्युम्नचरित) (अपभ्रंश, हिन्दी)महाकवि सिंह
मूल्य: $ 20.95 तेरहवीं शती की उत्तर-मध्यकालीन काव्य-विद्या में महाकवि सिंह कृत अपभ्रंश महाकाव्य 'पज्जुण्णचरिउ' (प्रद्युम्नचरित) भारतीय भाषा-साहित्य की एक महान कृति है. आगे... |
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गोम्मटसार, कर्मकाण्ड (द्वितीय भाग)आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती
मूल्य: $ 28.95 जैन धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करने वाला महान ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'. आगे... |