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शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास


हारुन जव दफ्तर में होता है, इस घर में रानू से ही मेरी ज़्यादा बातचीत होती है।

मेरी बगल में बैठे-बैठे, मेरे बालों में उँगलियाँ फिराते हुए रानू ने कहा, 'तुम इतनी पढ़ी-लिखी हो, तभी तो इस घर में तुम्हारी इतनी ख़ातिर इज्जत है।'

'क्यों? तुम्हारी कोई ख़ातिर नहीं करता शायद...?'

'बिल्कुल भी नहीं!' रानू ने होंठ बिचकाकर जवाब दिया।

'तुमने कैसे समझ लिया?'

'बाहर जाते हुए मुझे बुर्का ओढ़ना पड़ता है। बुका बिना सासजी मुझे निकलने ही नहीं देतीं। लेकिन तुम अपने को देखो, तुम बुक़ा न भी ओढ़ो तो भी चलता है।'

'तो तुम बुर्का मत ओढ़ा करो।'

‘सासजी नही मानेगी। मेरा पति रोज़गार जो नहीं करता। अगर वह कमा रहा होता, तो तुम देखतीं, मुझे भी बुर्का बिना ही बाहर निकलने दिया जाता। सास जी यूँ डाँटती-हुँकारती नहीं।'

रानू ने ही एक दिन हाँफ़ते-हाँफ़ते, बेहद उत्तेजित और दबी-दबी आवाज़ में अनीस के बारे में खबर दी।

'पता है, अनीस को पुलिस पकड़ ले गई है।'

'पुलिस?'

'हाँ, पुलिस...'

क्यों? पुलिस क्यों? क्या किया है अनीस ने?'

'उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार किया है। चोरी का कारोबार जो कर रहे थे, इसीलिए...'

मैं उठ बैठी।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

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