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शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास

5


हारुन ने रात को खाना नहीं खाया, सुबह भी नहीं। बिना खाए-पिए ही, वह दफ्तर जाने को तैयार होने लगा। पहले की तरह ही, मैंने उसका नाश्ता तैयार किया। उसकी चाँदी की टिफ़िन भी लगा दी। सुबह, तबतक, हम दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई।

मैंने ही बात छेड़ी, 'तुम मुझसे बात तक नहीं कर रहे हो। क्यों नहीं कर रहे हो? मुझे बेहद तकलीफ़ हो रही है।'

बिना कोई बात किए, वह टाई बाँधता रहा। मानो चुपचाप टाई बाँधने जैसा ज़रूरी, मानो कोई काम नहीं है। मुझे बेतरह तकलीफ़ होती रही। हारुन को मेरी तकलीफ़ का रत्ती भर भी अहसास नहीं हुआ। शुरू से लेकर अब तक, मुझसे कहाँ
और कौन-सी चूक हो गई, मैं खोजती रही। ना, मुझे कहीं, अपनी कोई गलती नज़र नहीं आई। ऐसा क्या घट गया कि मेरी कोख में बच्चा है, यह जानते हुए भी हारुन का मूड क्यों नहीं ठीक हो रहा है? उसके जीवन में ऐसा क्या घट गया?

हबीब, हसन या दोलन के साथ कोई हादसा नहीं हुआ। उसके दफ्तर में भी कोई बहुत बड़ा काण्ड हुआ हो, ऐसा भी नहीं लगता। अगर हुआ होता, तो मुझसे भले छिपा लेता, कम-से-कम सास-ससुर से तो इस बारे में ज़रूर बात करता।

हारुन के दफ्तर चले जाने के बाद, सासजी मेरे कमरे में आईं। उस वक़्त मैं बाथरूम में जाकर, अपने आँस पोंछते हाए. कमरे में लौटी ही थी।

उन्होंने पहला सवाल दागा, ‘हारुन सुबह का नाश्ता किए बिना ही, दफ्तर क्यों चला गया?'

'मुझे तो नहीं पता! नाश्ते के लिए मिन्नत तो की थी।'

'मिन्नत की, फिर भी उसने नाश्ता नहीं किया?'

'नहीं!'

'उसे हुआ क्या है?'

'यह तो मुझे नहीं मालूम! कितना-कितना पूछा, मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया।'

'कल रात भी उसने नहीं खाया। कहीं तुमने उससे झगड़ा तो नहीं किया?'

मैं सिर झुकाए रही!

बेहद मृदुल आवाज़ में मैंने संक्षिप्त-सा जवाब दिया, 'ना'

'मेरा बेटा बेहद सीधा-सादा है। देखना, उसे कोई तकलीफ़ न हो।'

सासजी पैरों से धप्-धप् आवाज़ करती हुई कमरे से बाहर निकल गईं।

मैं सिर पर पल्ला डाले, सिर झुकाए खड़ी रही। नतमस्तक होकर सासजी की बातें सुनने के अलावा, और कुछ करना मेरे वश में नहीं था।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

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