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शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

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तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास


मुझे उम्मीद थी कि हारुन यह ज़रूर पूछेगा कि मैंने अपने लिए क्या ख़रीदा। जब मैं उसे बताऊँगी कि मैंने अपने लिए कुछ भी नहीं खरीदा, तो वह नाराज़ होगा। मुझे साथ लेकर उसी रात न्यू मार्केट जाएगा और मेरे लिए कम-से-कम एक साड़ी ज़रूर ख़रीदेगा। हारुन ने मेरे गाल चूमे थे। उस चुम्बन में मुझे प्यार की खुशबू ज़रूर मिली, मगर.वह मेरे लिए नहीं थी, बल्कि अपने परिवार के लोगों के लिए थी। कभी-कभी मुझे आशंका होती है कि हारुन जितना मुझे प्यार करता है, उससे कहीं ज़्यादा वह अपने माँ-बाप हबीब-हसन, दोलन और उसके शौहर को करता है। मेरे अन्दर कोई महीन-सा अपमानबोध निस्तब्ध बैठा रहा। उस रात हारुन ने मुझे खुलकर प्यार किया! गहरा प्यार! उस रात वह बेहद गहरे उच्छ्वास के साथ मेरे प्रति उमड़ आया।

वक़्त गुज़ारने के तमाम इन्तज़ाम हारुन ने मेरे लिए कर दिया। अब मुझे अपनी समूची ज़िन्दगी इस घर के लोगों के साथ गुज़ारनी होगी। इन लोगों के सुख में मुझे सुखी होना होगा, इनके दुःख में दुःखी! इन लोगों की ज़रूरत पर, मुझे इनके क़रीब रहना होगा, जब ज़रूरत न हो, तो दूर-दूर रहना होगा। इस घर के हर फ़र्द का विश्वास संगी बने रहना होगा। अब मैं जिस हद तक झमर हैं, उससे कहीं ज़्यादा हारुन की बीवी हूँ; हबीब-हसन की भाभी, सास-ससुर की बहूरानी हूँ। अपना अस्तित्व विलीन कर देने के बावजूद, घरवालों के सुख-दुःख में सुखी-दुःखी होने के बावजूद, मेरा और भी कुछ भी बनने का मन करता है, और कुछ करने का मन करता है।

विवाह के बाद, हारुन मुझे साथ लेकर, सिर्फ दो दिन खरीदारी को निकला था। मेरे लिए उसने अपनी पसन्द की साड़ी खरीदी।

साड़ी का पैकेट मेरे हाथ में थमाते हुए, उसने हँसकर कहा, 'देखो, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ या नहीं!'

खैर, यह जुमला वह उस वक़्त न दुहराता, तो बेहतर होता। साड़ी देने के साथ प्यार का तालमेल मैं ठीक तरह दिला नहीं पाती। पास में पैसे हों, तो साड़ी तो यूँ भी मिल जाती है। अगर कोई थोड़ा-बहुत दरियादिल हो उठे, तो साड़ी-कपड़े बाँट सकता है। ज़कात देने के मौसम में, समूचे देश के लाखों-लाख लोग साड़ी बाँटते हैं। साड़ी तो हारुन अपने भाइयों की बीवियों, अपनी माँ-बहन को भी देता है; रसूनी और सकीना को भी देता है। मैं उन लोगों से अलग कहाँ हूँ? अपना प्यार जाहिर करने के लिए क्या कोई और माध्यम नहीं है? हाँ, रात में एक ही बिस्तर पर सोना भर शायद थोड़ा अलग-थलग है। लेकिन मर्द तो किसी भी औरत के साथ सो सकता है, प्यार के बिना भी! यह जो धरती पर रात उतरते ही, तमाम चकले, वेश्यालय, औरतों की बाजार मर्दो से भर उठते हैं। कितने मर्द उन औरतों को प्यार से छूते हैं?'



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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

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