लोगों की राय

उपन्यास >> शोध

शोध

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3010
आईएसबीएन :9788181431332

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

362 पाठक हैं

तसलीमा नसरीन का एक और पठनीय उपन्यास


अफ़ज़ल को मैंने अपने-सामने ही बैठने दिया। उसे अपनी काली-गहरी युगल-आँखों में झाँकने भी दिया।

ऐसी उदास आँखों को, कभी इतने करीब से देख पाऊँगी। मैंने सोचा नहीं था। आज वे आँखें हँस रही थीं। आज अफ़ज़ल के होंठों की कोरों में टुकड़ा-टुकड़ाभर खुशी के धूप-कण मानो झलक मार रहे थे।

'मैंने आपका नाम दिया है-उदासी!'

मैं एकदम से बौखला गई। मेरी छाती अन्दर मानो प्याली भर गरम-गरम चाय छलक पड़ी। कानों में अजब-सी झन्कार, मानो कानों में ढेर सारे झींगुर घुस आए हों। मुझे तेज़-तेज़ साँसें लेनी पड़ी।

'लगता है, आपको फूलों से बेहद प्यार है। आपको अक्सर ही बगीचे में टहलते हुए देखती हूँ।' मैंने उदासी का प्रसंग टालने की कोशिश की!

अफ़ज़ल, हँस पड़ा। हवाओं में उड़ते हुए उसके बालों ने उसकी आँखें बँक लीं, लेकिन उसके शेव किए हुए गाल उधड़े रहे।

'क्या मुझ अकेले को ही फूलों से प्यार है? आपको भी फूल क्या प्रिय नहीं हैं?'

मैंने कोई जवाब नहीं दिया। फूलों को भला कौन प्यार नहीं करता? चूंकि ऐसी कोई बात नहीं थी, जो अफ़ज़ल के साथ बाँटी जा सके, इसीलिए मैंने फूलों की बात छेड़ दी थी। वैसे हममें कोई बात न भी होती, तो भी काम चल जाता। मुझे लगता रहा, हममें कोई बातचीत न भी हो, मैं उसके सामने सिर्फ़ बैठी-बैठी ही सारे दिन-रात गुजार सकती हूँ। मेरे अन्दर यह ख्याल या आशंका जाग उठी कि हारुन के सामने यूँ मुग्ध बैठे रहना, सम्भव नहीं होगा। पति आख़िर पति होता है, पति के साथ अन्य किसी भी मर्द की तुलना नहीं की जा सकती। यह जान-समझकर भी मैंने यह गुनाह कर डाला और मन-ही-मन हारुन और अफ़ज़ल की तुलना करती रही।

मैं मन-ही-मन मिलाती रही-अफ़ज़ल के गाल पर जो नया-नया जंगल उग आया था, वह प्रकृति के बेहद करीब था और हजामत की गई हारुन के नीले-नीले गालों के बीच धारदार कृत्रिमता है! हारुन की खूबसूरत आँखों को गौर से देखें तो ऐसा लगता है, मानो दो बाज़ पक्षी घात लगाए बैठे हैं, अफ़ज़ल की उदास आँखें मानो दो-दो कविता हों!

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. बारह
  13. तेरह
  14. पन्द्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai