उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
''पर मैं इसे अवध नहीं मानती। पिताजी की दृष्टि में और अब मेरे बड़े भाई-भावज की दृष्टि में भी यह एक अवैध एवं अनिच्छित प्राणी है, परन्तु मैं तो ऐसा नहीं मानती। यह मेरे किसी अगाध प्रेम का परिणाम है और अब यह मेरे जीवन की सम्पूर्ण निधि प्रतीत होता है।
एक जर्मन डाक्टर ने आपरेशन कर इसकी दृष्टि ठीक कर देने की आशा दिलायी है और मैं इसके लिए तैयार हो गयी हू, परन्तु डाक्टर ने कहा है कि दृष्टि मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी, वह केवल वैज्ञानिक आश्वासन दिला सकता है और वह आश्वासन अति क्षीण है। परन्तु आपरेशन इतना गम्भीर है कि रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इस राम के कारण हम सब यहाँ अनिश्चित मन हैं। यदि यह हो सके तो राम का विवाह कर अपना परिवार चलाने की कल्पना में ही अपना जीवन रस ले रही हूं।''
''यह ठीक है। आप विचार करिये। व्यय के विषय में तो मैं कहता हूं कि आपको संकोच नहों हो सकता। इस पर भी मैं भी कुछ थोड़ा व्ययकर सकने की सामर्थ्य रखता हूं, परन्तु यदि मेरी बात माने तो इसको ऐसा ही रहने दिया जाये, जैसा भगवान् ने बनाया है। इसके आंखों के अभाव को हम पूर्ण करने का यथा यत्न करेंगे।
"परन्तु मेरा तो इस समय यह आग्रह है कि आप इसे हमारे घर जाने की स्वीकृति दें? वहां अन्धकार हो रहा है।"
''पर सेठजी! इसके प्रकाश का अनुभव हम यहां भी तो कर रहे हैं। यहां का क्या होगा?''
"यह दोनों स्थानों पर रह सकेगा।"
"तो ऐसा करिए। राम को स्वयं विचार करने दीजिए। आप कल किसी समय मिलकर राम की इच्छा जान लीजियेगा। मैं तो यह पसन्द करूंगी कि यह अपनी मां के घर में रहे और जिस किसी को मिलना हो, इससे मिल जाया करे। इस पर भी यह मेरा बन्दी नहीं। जैसा यह चाहेगा, मैं अपने को इसके अनुकूल बनाने का यत्न करूंगी।''
"क्यों, राम! तुम क्या कहते हो?''
''पिताजी! मुझे कुछ विचार करने के लिये समय दीजिये। आप
कब तक बदायूं जाने वाले हैं?''
''वैसे तो मेरा यहां कुछ दिन और कामहै। इस पर भी जब भी तुम चलने को तैयार हो सको, मैं यहां से चल दूँगा।"
''तो आप कल किसी समय यहां आने का अथवा टेलीफ़ोन से से पता करने का कष्ट करिये।"
"अच्छी बात है।"
सेठजी वहां से चले आये।
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :