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उपन्यास >> अंधकार

अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

: 10 :

 

बदायूं में सेठ और कमला बिना सूचना के पहुंचे। दोनों सायंकाल छ: बजे दिल्ली ऐयरोड्रौम पर पहुंचे और वहां से टैक्सी कर सीधा बदायू के लिये चल पड़े।

प्रातःकाल वे एकाएक हवेली के द्वार पर पहुंचे तो नौकर-चाकर भागकर वहां एकत्रित होने लगे। चन्द्रावती तो जागती थी, प्रकाशचन्द्र सो रहा था। श्रीमती बच्चे को स्नानादि के लिये तैयार करा रही थी।

कमला तो उतरते ही अपने कमरे में गयी। मुख-हाथ धोकर वस्त्र बदले और मन्दिर में पहुंची। विमला वहां पूजा पर बैठी थी। अब तो उस समय भी कोई कोई भक्त भगवान के दर्शन के लिये आने लगे थे।

भगवान को नमस्कार कर कमला अपने कमरे में आ सो गयी। कमला के जागने से पूर्व ही सेठजी ने बम्बई में हुई घटना का वर्णन चन्द्रावती को बता दिया था। सेठजी तो स्नान-ध्यान और पूजा में लग गये। तदनन्तर अल्पाहार के लिये खाने के कमरे में पहुंचे तो श्रीमती विश्वम्भर, विमला और शीलवती वहाँ पहले ही बैठी थीं। अभिवादन के उपरान्त सेठजी ने श्रीमती से पूछ लिया, "प्रकाश कहां है?"

"सो रहे हैं।"

''अब तो नौ बजने वाले हैं।"

"परन्तु वह रात के चार बजे घर आये थे और फिर सो गए थे।''

''रात कहाँ रहे है?''

''बदायूं में बहुत औरत हैं, जहां कुछ ले देकर रात व्यतीत की जा सकती है।"

''ओह!...? और तुम कैसी हो?"

''बहुत मजे में हूं पिता जी! यह।" उसने विश्वम्भर की ओर प्रेम भरी दृष्टि से देखते हुए कह दिया, "बहुत मजेदार प्राणी है। बहुत प्रातःकाल उठ पड़ता है और फिर मुझे उठाए बिना दम नहीं लेता।''

"क्या कहता है?"

"कहता है, मां! उठो, दिन हो गया है। मैं तुमसे खेलूँगा।"

सेठ और विमला हंसने लगे। सेठजी के मुख से निकल गया, "प्रकाश अभी भी अन्धकार में भटक रहा है।"

''हां!" शीलवती ने उत्तर दिया, "एक अन्धे की भान्ति।"

''पर अन्धकार में अन्धे और आँखों वाले तो समान हो जाते हैं?''

"नहीं पिता जी।" शीलवती ने कहा, "दोनों में अन्तर रहता है, परन्तु भैया तो जन्म के अन्धे प्रतीत होते हैं और वह इस अन्धकार से निकल नहीं सकते।"

अल्पाहार समाप्त हो गया और सेठजी कपड़े बदल कार्यालय को जाने लगे। इस समय प्रकाश "नाईट डैरस" मे अंगड़ाइयां लेता हुआ सामने आकर विस्मय में पूछने लगा, "पिताजी! कब आये?''

''प्रातः साढ़े पांच बजे यहां पहुंच गया था।"

''और कमला?''

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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