उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
"कुछ ऐसा ही करना पड़ेगा।"।
''मैं भी आपके साथ दिल्ली चलना चाहूगी।"
"क्या करोगी वहाँ चलकर?"
''आपको देश के बड़े-बड़े लोगों में बैठा देख चित्त प्रसन्न होगा।"
"तुम्हें वहाँ कष्ट होगा।"
"तो वह कष्ट धन से निवारण नहीं हो सकेगा क्या?''
प्रकाशचन्द्र कह नहीं सका कि निवारण नहीं हो सकेगा। वह धन को एक महान् शक्ति समझ रहा था।
''एक बात कमला के विषय में भी है।" श्रीमती ने पुन: कहा।
"क्या?''
"केवल के साले का एक लड़का है। केवल की भाभी का पत्र
आया है।''
"कमला तो सूरदास पर लट्टू हो रही है। मुझे मास्टर राम विलास ने बताया है कि वह सूरदास से विवाह करना चाहती है।''
"रामविलास की बात ठीक ही होगी। उसकी पत्नी शीलवती सूरदास से मिलती रहती है और सम्भव है कि उसी ने दोनों में सम्बन्ध बनाने का षड्यन्त्र किया हो।"
"उसकी इसमें क्या रुचि हो सकती है?"
"रुचि में कारण तो है। यदि सूरदास से विवाह हुआ तो कमला यहीं रह जायेगी और शीलवती की नौकरी बनी रहेगी। वह बदायूँ छोड़ कही जा नहीं सकती।"
''मैं कभी विस्मय करता हूं कि मास्टराइन के घर में कोइ सन्तान क्यों नहीं?''
'मैंने तो अपने पाँव पर स्वयं कुल्हाड़ी चलवायी है।"
"विवाह होने के प्रथम मास के भीतर ही श्रीमती के मासिक बन्द हुआ तो उसे चिन्ता लग गयी थी और वह लेडी डाक्टर के पास जा पहुंची थी।
डाक्टर की चिकित्सा से मासिक खुल गया परन्तु श्रीमती बीमार हो गयी। धीरे-धीरे बच्चेदानी मैं तपेदिक का रोग हो गया और तब बच्चेदानी ही निकलवानी पड़ी।"
''इससे मैं तो सुखी हो गया हूं।'' प्रकाशचन्द्र ने मुस्कराकर कहा, परन्तु ध्राताजी वंश चलाने की बात कह रही हैं।''
''तो दूसरा विवाह कर लें।"
''पर दो विवाह वर्जित हैं।"
''तो कोई ऐसे ही लाकर रख ले।"
''और तुम यह प्रबन्ध मान जाओगी?''
''इसमें मेरे न मानने की बात क्या है?''
''लाकर तो घर में ही रखूँगा।''
"आपकी माताजी नहीं मानेंगी, इस कारण घर में आप नहीं ला सकेंगे।"
''तो माताजी की सन्तान कैसे होगी? कहीं बाहर तो पहले भी है।''
"सत्य? आपने बताया नहीं।''
''अब जो बता रहा हूं।"
''कब से है और कहाँ है?"
''हैं तो यहाँ की ही, परन्तु रखी बम्बई में है। अब उसे दिल्ली ले आऊंगा।"
''तब तो मैं दिल्ली अवश्य चल्गा।
"अर्थात् उससे लड़कर उसे घर से निकाल दोगी?"
"नहीं। यदि उसके कोई लड़का हुआ तो यहा घर में ले आऊगी।"
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :