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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

''सत्य?" नेहरूजी ने भी ज्योतिस्वरूप के मुख की ओर देखते हुए पूछा।

ज्योतिस्वरूप ने कहा, "बाबू प्रकाशचन्द्र को अभी अदालती सम्मन नहीं मिला।"

''क्यों?'' नेहरूजी ने पूछ लिया।

इस पर प्रकाशचन्द्र का मुख विवर्ण हो गया। ज्योतिस्वरूप ने प्रकाशबाबू के सामने अपने रुपया लेने की सफाई देने के लिए कह दिया, "पटीशन मैं नहीं कर रहा। यह तो बदायूं के एक मतदाता ने की हे।''

''कौन है वह?''

"मुझे ठीक विदित नहीं। कल बरेली की अदालत में पेश हुई है।''

प्रकाश को सन्देह हो रहा था कि प्रधानमंत्री और दल के नेता ने ही यह पटीशन करवायी है, परन्तु जब प्रधानमंत्री ने बात बदल दी तो ज्योतिस्वरूप ने कह दिया, "लाला प्रकाशचन्द्र के पिता का उस क्षेत्र में बहुत रसूख है। यदि वह भी कांग्रेस के पक्ष में आ जाये तो बात बहुत सुगम हो सकेगी।"

''उनका रसूख किस कारण है?" प्रधानमंत्री का अगला प्रश्न था।

''उनका दान-दक्षिणा का दौर चलता रहता है। उन्होंने अपनी हबेली के सामने एक बहुत बड़ा हाल बनवा दिया है और वहां नित्यकथा होतीहै। वहां नित्य तीन चार सौ साधु, संत, महात्माओं को भोजन बांटते हैं।''

"कितना 'वेस्टेज' हो रहा है? क्यों प्रकाशचन्द्र, आप क्या समझते हैं?"

"पण्डित जी! समझता तो मैं भी कुछ इसी प्रकार था। पिछली बार मैं घर गया था तो मैंने इस धन से कोई स्कूल, कालेज खोलने की बात कही थी, परन्तु मेरी छोटी बहन नहीं मानी और लगभग तीन सौ रुपया नित्य भोजन पर व्यय हो रहा है। परन्तु मेरे भी अब कुछ विचार बदल रहे हैं।''

''किसलिये?''

प्रकाशचन्द्र ने मुस्कराते हुए कहा, "यदि निर्वाचन होना है तो दान-दक्षिणा से बना प्रभाव ज्योतिस्वरूप जी के पक्ष में सहायक हो जायेगा। यह एक अच्छी बात ही होगी।"

प्रधानमंत्री ने प्रकाशचन्द्र का व्यंग समझा और उनके माथे पर त्योरी चढ़ गयी। बात ज्योतिस्वरूप ने टाल दी। उसने कहा, "तो सेठजी काग्रेस के सदस्य बन जायेंगे?''

"सो तो पहले ही हैं। वह खद्दर भी पहनते हैं, साथ ही अहिंसा का व्रत लिए हुए हैं।"

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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