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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

''हजूर! यहाँ से हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तर काशी, गंगोत्री, केदार नाथ, बद्रीनारायण, वहाँ से रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग; अभिप्राय यह है कि पूर्ण उत्तरा खण्ड देख आया हूं।''

''और चारों धामों की तीर्थ यात्रा का पुण्य लाभ कर आये हो।" "यह बाबू साहब, फोकट में ही हो गया है।''

''अब क्या विचार है सूरदास के विषय में?"

''मैं तो इस परिणाम पर पहुँचा हूं कि उसने आत्महत्या कर ली है।''

''अच्छा, यह देखो। मुझ पर पटशिन हो गयी है।"

"किसने की है?"

''एक रामलाल वल्द गौरीशंकर है। बदायूँ का ही रहने वाला है और नगर के बाहरी क्षेत्र के रहने वाले मतदाता क्रमांक है 3542।" 

"तो फिर क्या करने का विचार है?"

''तुम बताओ?"

"बाबू साहब! खूब डटकर लडना चाहिये। सुना है कि आपने दस हजार रुपया ज्योतिस्वरूप को दिया भी है। इस पर भी यह स्पष्ट है कि पटीशन उसके ही किसी पिट्ठू ने की है। आपसे दस सहस्त्र लेकर आपके विपरीत ही प्रयोग किया जा रहा है।"

"परन्तु प्रश्न यह है कि किस वकील को किया जाये?"

''दिल्ली से कोई वकील ढूंढना चाहिये। यहां तो ज्योतिस्वरूप ही बड़े वकील हैं और मैं समझता हूँ कि वह थर्ड क्लास वकील है।"

"थर्ड क्लास? वह क्यों?"

''यह मुकद्दमा वह हार जायेगा। राम नाम निर्वाचन सभाओं में लेना असंवैधानिक नहीं है। वह यह साधारण-सी बात भी नहीं जानता कि कांग्रेसी गांधी जी के अनुयाई हैं और गांधी जी राम के अनुयाई थे। अत: कांग्रेसी राम का नाम लें तो वह संविधान के विरुद्ध कैसे हो गया?''

प्रकाश बाबू मुख देखता रह गया। उसने कहा, "अच्छा, ऐसा करो कि तुम पता करो कि दिल्ली में अथवा कहीं अन्यत्र कौन योग्य वकील है जो इस पटीशन का विरोध करे और मुकद्दमा जीत सके। कदाचित् मुकद्दमा सुप्रीम कोर्ट तक लड़ना पड़ेगा।"

''तो बाबू साहब! आज्ञा हो जाये कि दिल्ली जा पता कर आऊं?"

"अच्छा, मैं पिताजी को पत्र लिख रहा हूँ। उनके उत्तर की प्रतीक्षा कर ही यह बात की जा सकतीं है।" 

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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