उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
|
0 5 पाठक हैं |
गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
"तो आपका विचार है कि मुझे निर्वाचन नहीं लड़ना चाहिये था और अब ज्योतिस्वरूप हार गये हैं तो उसको मुझ पर पटीशन करनी ही चाहिए थी और उनकी पटीशन सफल होनी ही चाहिये?"
श्वसुर अपने दामाद को इस प्रकार की सम्मति नहीं दे सका और चुपचाप मुख देखता रहा। प्रकाशचन्द्र इस सब बात में अपने श्वसुर के दृष्टिकोण को ठीक न समझता हुआ भी जानता नहीं था कि दोष कहा है? उसमें इतनी बुद्धि ही नही थी कि वह श्वसुर के कथन में वास्तविक तथ्य को पकड़ सके।
श्वसुर को चुप देख वह समझा कि वह भी ज्योतिस्वरूप का पक्ष लेंगे। वह आया था यह विचारकर कि श्वसुर के द्वारा ज्योतिस्वरूप को दस सहस्त्र रुपया वापिस करने पर विवश करेगा, परन्तु अब उनका विचार जान वह अपनी बात नहीं कह सका।
धन्नाराम ने भी बात बदल देनी उचित समझी। उसने पूछ लिया, "श्रीमती ने यह बच्चा गोद लिया है?"
"अभी रस्म तो मनायी नहीं। पिताजी बम्बई से लौटेगे तो रस्म पूरी कर लेंगे। वैसे लड़का अब हमारे पास ही रहता है और श्रीमती से हिल मिल गया है।"
''चलो भीतर। तनिक हम भी अपने नाती से भेंट कर आयें।"
दोनों उठकर भीतर वहां चले गये जहां श्रीमती की मां, सबसे छोटी बहन और भाभी श्रीमती और विश्वम्भर को घेरे बैठे हुए थे। प्रकाशचन्द्र और धन्नाराम भीतर गये तो उनके बैठने के लिए स्थान बना दिया। घर की बहू अपनी सास के पीछे हटकर बैठ गयी।
श्रीमती ने विश्वम्भर का ध्यान आकर्षित कर कह दिया, "देखो, यह तुम्हारे नानाजी हैं।''
''नानाजी? वह क्या होता है?"
"मेरे पिताजी। जैसे तुम्हारे पिता यह हैं।'' उसने प्रकाशचन्द्र की ओर संकेत कर कहा, "वैसे ही मेरे पिताजी यह हैं। इससे यह तुम्हारे नाना कहलाते हैं।"
"सुनाओ बच्चू! क्या नाम है तुम्हरा?"
''विश्वम्भर।"
''ओह! कुछ पढते भी हो?"
''जी। मेरी छोटी मां पढ़ाती हैं।"
''क्या पढ़ाती है?"
"वह कहती हैं, सीता राघव राजाराम पतित रघुपति तरो नाम।''
सब हंसने लगे। श्रीमती के माथे पर त्यौरी चढ़ गयी, परन्तु सबके साथ विश्वम्भर को हंसते देख उसकी भृकुटी उतर गयी और उसने कह दिया, "विश्वम्भर? गलत कह रहे हो।"
''तो माताजी! आप ठीक कर दीजिये। बताइये, क्या कहूं?"
"कहो, रघुपति राघव राजा राम।''
बव्चे ने अब ठीक दोहराया। श्रीमती ने आगे कह दिया,"पतित पावन सीताराम।"
बच्चे ने कह दिया, "और तेरो नाम भी तो है।"
अब फिर सब हंसने लगे। इस पर धन्नाराम ने कह दिया, "बच्चा बुद्धिशील है। क्या आयु है इसकी?''
''दो वर्ष पांच महीने।''
|
- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :