उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
भोजन लग गया था और सब खाने लगे थे। भागीरथ खाता-खाता हंस पड़ा। उसने पूछ लिया, "तो भैया राम राज्य परिषद के टिकट पर खड़े हैं?''
"नहीं भैया।'' उत्तर शीलवती ने ही दिया, "भैया कांग्रेस के
टिकट पर खड़े हैं।"
''परन्तु कांग्रेस वाले तो "सैक्युलर" हैं'। उनका राम कथा और भगवान् से क्या सम्बन्ध हो सकता है?''
''भैया। इस विषय पर इस घर में चर्चा हुई है, परन्तु भैया राम कहते थे कि सैक्युलर के अर्थ तो निष्पक्षता से है और परमात्मा तथा राम से बड़ा सैक्युलर इस संसार में कोई है ही नहीं। परमात्मा किसी से अन्याय अथवा पक्षपात करता ही नहीं। इसी कारण भैया राम कहते थे कि तब तो कांग्रेस के जलसों में राम की घूम मचनी ही चाहिये।"
"बस हो चुके प्रकाश भैया संसद सदस्य। कही, भूल से हो भी गये तो कांग्रेस नेता इनको इतना तंग करेंगे कि ये भागकर बाहर निकल आये हो।"
अब बात कमला ने कर दी, "भैया भागीरथ! मां से कितने दिन की छुट्टी लेकर आये हो?''
भागीरथ को व्यंग समझ नहीं आया। उसने कह दिया, "आपका अभिप्राय है कि अपने कार्यालय से?"
''पर भैया आप तो मां से सम्मति कर आये हो न?"
''हां, परन्तु छुट्टी अपने कार्यालय से लेकर आया हूँ। मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली थी, जिसमें से पांच दिन व्यतीत हो चुके थे।" अब चन्द्रावती ने कहा, "तब तो आप यहां तीन दिन तक रह सकते हैं।"
"जी नहीं। मुझे आपका उत्तर अपने माता-पिता से बताने जाना है। इस कारण एक दिन तक ही समझिये।"
"अच्छी बात है।" शीलवती ने बात टालने के लि ये कह दिया, "आज रात तो यही रहेंगे ही।"
"तो रात तक सेठ जी आ जायेंगे?''
"उनके आने का निश्चय नही।" चन्द्रावती ने कहा, "उनके स्थान पर बात मैं सुन लूँगी और यदि कुछ उत्तर देने योग्य हुआ तो दे दूँगी। यदि कुछ सेठजी से पूछने वाली बात हुई तो उनके आने पर उत्तर तुम्हारी माता जी को लिख दिया जायेगा।"
"मैं कल प्रात: का अल्पाहार लेकर बस से जाने का विचार कर रहा हूँ।''
"उसमें अभी बहुत समय है।"
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :