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अंधकार

गुरुदत्त

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16148
आईएसबीएन :000000000

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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास

"माँ जी किसी प्रकार का षड्यन्त्र कर रही प्रतीत होती हैं।" 

"मुझे भी कुछ यही समझ आ रहा है। पिताजी सूरदास को कहीं भेजना चाहते थे। मुंशीजी के हाथ उन्होंने उससे पूछ भेजा था कि वह कहां जाना चाहता है? ऐसा प्रतीत होता है कि माँ को पता चल गया है और उन्होंने उसे कही यहा ही छपा रखा है।"

"यह भी सम्भव है कि माँजी छपे-छपे उसेंका कमला बहन से विवाह कर दे।"

"तब तो और भी ठीक रहेगा। कमला का पत्ता इसें घर से कट जाएगा।"

"तब आप दूसरी औरत से सन्तान को यहां ले आयेगे तो मैं उसे गोद ले लूंगी।

"बात कुछ ठीक बन रही है। परन्तु श्रीमती, एक बात कुछ ठीक प्रतीत नहीं हो रही। ज्योतिस्वरूप इस बात की पटीशन करने वाला है कि मैंने अपने निर्वाचनों में मज़हबी प्रेरणा से मत प्राप्त किये हैं, अत: मेरा निर्वाचन रद्द कर दिया जाये।"

''तो निर्वाचनों में राम-कथा नही, होनी चाहिये थी?"

"मेरा वकील कहता है कि यह संविधान के विपरीत है।''

श्रीमती को यह बात समझ नहीं आयी। उसने चिंता व्यक्त करते हुए पूछ लिया, "तो रावण के नाम पर मत मांगने चाहियें?'' 

"नहीं। महात्मा गांधी और पण्डित जवाहरलाल के नाम पर मत मांगने चाहियें।"

"तो वे राम के विरोधी हैं?"

"तुम कुछ समझती तो हो नही।"

"जी समझती तो हूं। मैं समझ रही हूं कि आपके वकील साहब नहीं समझे। गांधी राम-भक्त और गांधी का नाम तो निर्वाचनों में लिया जाये, परन्तु गांधीजी के मीर-मुर्शद का नाम न लिया जाये।"

''यह कानून है श्री मती। मेरे और तुम्हारे चाहने की बात नहीं।"

"ज्योतिस्वरूपजी को समझाया जा सकता है।"

"कैसे?"

"मेरे पिताजी उसे समझा सकते हैं। कुछ-लेना-देना पड़ेगा। वह पटीशन नही करेंगे।"

"तो करो बात। बारह-तेरह लाख व्यय हो चुका है। एक-आध लाख और व्यय हो सकता है।"

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    अनुक्रम

  1. प्रथम परिच्छेद
  2. : 2 :
  3. : 3 :
  4. : 4 :
  5. : 5 :
  6. : 6 :
  7. : 7 :
  8. : 8 :
  9. : 9 :
  10. : 10 :
  11. : 11 :
  12. द्वितीय परिच्छेद
  13. : 2 :
  14. : 3 :
  15. : 4 :
  16. : 5 :
  17. : 6 :
  18. : 7 :
  19. : 8 :
  20. : 9 :
  21. : 10 :
  22. तृतीय परिच्छेद
  23. : 2 :
  24. : 3 :
  25. : 4 :
  26. : 5 :
  27. : 6 :
  28. : 7 :
  29. : 8 :
  30. : 9 :
  31. : 10 :
  32. चतुर्थ परिच्छेद
  33. : 2 :
  34. : 3 :
  35. : 4 :
  36. : 5 :
  37. : 6 :
  38. : 7 :
  39. : 8 :
  40. : 9 :
  41. : 10 :

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