उपन्यास >> अंधकार अंधकारगुरुदत्त
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गुरुदत्त का सामाजिक उपन्यास
तारकेश्वरी के मुख से अनायास निकल गया, "हां बेटा!"
''कौन?" सूरदास ने इस अपरिचित ध्वनि को सुन मुस्कराते हुए पूछा। अब उत्तर धनवती ने दिया। उसने कहा, "बेटा। यह बम्बई से आयी हैं।"
सूरदास ने हाथ जोड़ दिये और उस ओर कर दिये जिधर से पहली आवाज़ आयी थी। तारकेश्वरी उठकर सूरदास के समीप आ बैठी और पीठ पर हाथ फेर अपनी वात्सल्यता उस पर उड़ेलने लगी। सूरदास ने पूछ लिया, "आप मेरी मां है?''
इस प्रश्न पर तारकेश्वरी की आंखों में आंसू छलकने लगे। उसके मुख से भर्रायी सी आवाज़ निकल गयी, "हां बेटा! मैं ही वह सौभाग्यशालिनी हूं।''
''मां! बहुत देर से आयी हो। मेरा बाल्यकाल स्नेह रिक्त ही रहा है। मां के स्नेह की पिपासा अतृप्त ही रही है। मां के चरणों तथा गोदी में लोट-पोट होने को चित व्याकुल रहता है।"
''तो अब लोट-पोट हो सकते हो।"
''नहीं माँ! प्रत्येक बात अपने-अपने समय पर ही सुख देती है। अब देख लो। इतने बड़े, आठ रोटी नित्य खाने वाले और राम भजन के अतिरिक्त अन्य कुछ भी न कर सकने वाले रुत्र को क्या कर सकोगी?
''जहां मैं रहता था वहां राम की कूक लगाने के अतिरिक्त न कुछ सीखा है और न किया है।''
''यही बहुत कुछ है बेटा! उठो, मैं तुम्हें लेने आयी हूं।''
''इस समय नहीं। मुझे दिखायी देता है कि सुन्दरदास बाहर सड़कों पर मुझे ढूंढ रहा है और मैं वहां से चला आया हूं।"
''क्यों? रुष्ट होकर आये हो अथवा कष्ट देकर निकाल दिये गये हो?"
''ऐसी कोई बात नही मां। सेठजी अति सज्जन व्यक्ति हैं। राम भक्त और दयालु हैं। सेठानीजी भी दया की मूर्ति हैं। मेरे कारण उनके पुत्र के मन में विकार उत्पन्न हो गया था। उनको मेरी राम कथा अखरने लगी थी। पिता के इकलौते पुत्र को अपने कारण पिता से विमुख होते नहीं देख सका और चला आया हूं।"
''तब ठीक है। मैं तुमको लेकर रात को जाऊंगी। कल हम बम्बई पहुंच जाएंगे।"
''कैसे पहुँच जायेंगे?"
''मैं अभी जा रही हूँ। रात की गाड़ी के टिकट ले आती हूं। फिर अन्धेरा होने पर तुमको ले चलूँगी। यहां से कल प्रात: काल दिल्ली पहुँच जायेंगे। दिल्ली से हवाई-जहाज़ में तीन घण्टे में बम्बई। शेष अपने बेटे का क्या करूंगी, यह वहां चलकर विचार कर लूंगी।"
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- प्रथम परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- : 11 :
- द्वितीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- तृतीय परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :
- चतुर्थ परिच्छेद
- : 2 :
- : 3 :
- : 4 :
- : 5 :
- : 6 :
- : 7 :
- : 8 :
- : 9 :
- : 10 :